कांग्रेस नेता राहुल गांधी 10 मई को गुजरात के आदिवासी बहुल दाहोद में ‘आदिवासी सत्याग्रह रैली’ को संबोधित करेंगे. राज्य में इस साल के अंत में होने वाले हैं, और इसके मद्देनज़र सभी पार्टियां अलग-अलग समुदायों के बीच अपनी नींव मज़बूत करने की कवायद में जुटी हैं.
राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 पर आदिवासी समुदाय निर्णायक हैं. 182 में से 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए आरक्षित हैं.
राहुल गांधी के दौरे के बारे में जानकारी देते हुए, कांग्रेस की जुगरात यूनिट के पूर्व प्रमुख भरतसिंह सोलंकी ने कहा कि रैली का उद्देश्य सत्तारूढ़ भाजपा को बेनकाब करना, और आदिवासियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है. इसके अलावा इस बात पर भी ज़ोर होगा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस आदिवासियों की मदद कैसे करेगी.
पहले पार्टी की योजना 1 मई को इस रैली को आयोजित करने की थी, लेकिन कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो पाया, और अब 10 मई को इसका आयोजन तय किया गया है. रैली में, कांग्रेस आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने के अपने संकल्प को दोहराएगी.
कांग्रेस ने भाजपा पर मनरेगा और वन अधिकार अधिनियम जैसे कई आदिवासी समर्थक अधिनियमों को ठीक से लागू न करने का आरोप लगाया है. पार्टी का यह भी आरोप है कि राज्य सरकार ने राजमार्गों और बांधों के निर्माण के नाम पर आदिवासियों को उनकी भूमि से विस्थापित किया है.
आपको याद होगा कि दक्षिण गुरजात में हाल ही में आदिवासियों के कड़े विरोध के बाद पार-तापी-नर्मदा रिवर लिंकिंग परियोजना रद्द कर दी गई थी. आदिवासी इश बात का विरोध कर रहे थे कि इससे योजना से हज़ारों आदिवासी विस्थापित हो जाएंगे. अपना विरोध दर्ज करने के लिए 5,000 से ज्यादा आदिवासी राजधानी गांधीनगर में इकट्ठा हुए थे.
राहुल गांधी की रैली के बारे में बात करते हुए सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस संविधान द्वारा आदिवासियों को दिए गए अधिकारों को बहाल करेगी. उन्होंने यह बी भरोसा जताया कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त है, औऱ राहुल गांधी रैली के दौरान आदिवासियों के समग्र विकास के लिए गुजरात कांग्रेस के रोडमैप को सबके सामने रखेंगे.
इससे पहले 20 अप्रैल को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दाहोद का दौरा किया था, और इस आदिवासी इलाक़े के लिए 22,000 करोड़ रुपये की अलग-अलग परियोजनाओं का शुभारंभ किया था.
मोदी ने कहा था कि ‘मैं सर झुकाकर कह सकता हूं कि भारत का कोई भी आदिवासी क्षेत्र हो, मेरे आदिवासी भाई-बहनों का जीवन पानी जितना पवित्र और नई कोपलों जितना सौम्य होता है.’