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एशिया के सबसे बड़े पंडाल में प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासियों को किया संबोधित, दाहोद बनेगा स्मार्ट सिटी

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दाहोद और पंचमहाल के विकास से जुड़ी 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है.

अपने गुजरात के तीन दिन के दौरे के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दाहोद में आयोजित ‘आदिजाति महा सम्मेलन’ में पहुंचे. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद हैं।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दाहोद और पंचमहाल के विकास से जुड़ी 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है. 

जिन परियोजनाओं का आज उद्घाटन हुआ है, उनमें एक पेयजल से जुड़ी योजना है और दूसरी दाहोद को स्मार्ट सिटी बनाने से जुड़ा प्रोजेक्ट है. पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के दौर में यहां बने भाप इंजनों की कार्यशाला अब मेक इन इंडिया की प्रेरणा बनेगी.

दाहोद में अब 20,000 करोड़ रुपये की फैक्ट्री लगेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह मेरा सपना था.दाहोद में उन्होंने कहा मैं सर झुकाकर कह सकता हूं कि भारत का कोई भी आदिवासी क्षेत्र हो, मेरे आदिवासी भाई-बहनों का जीवन पानी जितना पवित्र और नई कोपलों जितना सौम्य होता है. 

मैंने दाहोद में अनेकों परिवारों के साथ, पूरे क्षेत्र में बहुत लंबा समय बिताया है. हमारे यहां एक प्राचीन कहावत है कि हम जहां रहते हैं, उसका हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. यह क्षेत्र मेरा कार्यस्थल था. मुझे काफी लंबे समय तक आदिवासियों के बीच रहने, उनसे सीखने और समझने का अवसर मिला है. कोई भी आदिवासी क्षेत्र पानी की तरह शुद्ध होता है. 

 पीएम मोदी ने इससे पहले अपने दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस गेब्रेयसस और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी थी. 

इस दौरान मोदी ने पारंपरिक चिकित्सा के विभिन्न लाभों का उल्लेख करते हुए कहा था कि यह केंद्र अगले 25 वर्षों में दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरुआत करेगा. उन्होंने मोटे अनाज को महत्व देने संबंधी भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करने और 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का धन्यवाद व्यक्त किया था.

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