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पीवीटीजी (PVTG) समुदायों के लिए PM JANMAN योजना पर कौन राज्य कितना ख़र्च करेगा?

मोदी सरकार के पीएम जनमन के लाभार्थी आदिवासियों समुदायों के नामों के साथ ही परियोजना में राज्य और केंद्र के द्वारा दिए जाने वाली धनराशी की घोषणा हो गई है.

सरकार पिछले कुछ समय से आदिवासियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लेकर आ रही है. उनमें से एक प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN) योजना है. 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर खूंटी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का ऐलान किया था, तो उसके कुछ दिनों बाद ही 29 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी थी.

अब जिन आदिवासी समुदायों को इस परियोजना का लाभ दिया जाएगा उनके नाम की घोषणा हो गई है.

केरल के छह आदिवासी गोत्रों को पीएम जनमन के लाभार्थी के लिए चुना गया है. चुने गए केरल के पीवीटीजी समुदाय ये हैं.

  1. कासरगोड के कोरागा (Koragas of Kasargod)
  2. वायनाड, कोझिकोड और पलक्कड़ ज़िले की कट्टुनायकन जनजाति (Kattunayakan tribes of Wayanad, Kozhikode and Palakkad districts)
  3. नीलाम्बर की चोलनाइक्कन जनजाति (Cholanaikkan tribe of Nilamboor)
  4. अट्टापडी की कुरुम्बा (Kurumbars of Attapadi)
  5. पलक्कड़ की कादर (Kadars of Palakkad)
  6. त्रिशूर की मक्कलपारा (Makkalapara of Thrissur)

सरकार ने कहा है कि पीएम जनमन अभियान का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और पीवीटीजी यानी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG– Particularly Vulnerable Tribal Groups) में सरकारी योजनाओं की जमीनी स्तर पर लागू हो, सुनिश्चित करना है.

मोदी सरकार ने कहा है कि इस परियोजना के जरिए देश के 75 पीवीटीजी और उनकी बस्तियों को 24,104 करोड़ की धनराशी की लागत से उत्थान करने का लक्ष्य है.

पीएम जनमन परियोजना के लिए तय किये गए 24,104 करोड़ रुपयों की धनराशी में से 15,336 करोड़ की रुपय केंद्र सरकार और 8,768 करोड़ रुपये का योगदान राज्य को देना है. पीएम जनमन परियोजना में बिजली, पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ घरों, सड़कों, छात्रावासों, स्वास्थ्य केंद्रों के सार्वजनिक शौचालयों और आंगनबाड़ियों का निर्माण किया जाएगा.

इस परियोजना की पहल के लिए नौ विभाग अनुसूचित जनजाति नोडल एजेंसियों के रूप में कार्य करेंगे.

उन नौ विभागों में बिजली, शिक्षा, स्थानीय प्रशासन, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य, कौशल विकास, बाल कल्याण, श्रम और वन आदि विभाग शामिल हैं.

इसके साथ ही पीएम जनमन परियोजना की निगरानी करने के लिए राज्य स्तर(State level) पर मुख्य सचिव (Chief Secretary) और ज़िला स्तर(District level) पर कलेक्टरों(Collectors) की एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा.

इस योजना को अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित 18 राज्यों में लागू किया जाएगा.

हर राज्य में पीवीटी की संख्या

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना- 12
झारखंड- 9
गुजरात- 5
कर्नाटक- 2
केरल- 5
मध्य प्रदेश- 7
महाराष्ट्र- 3
मणिपुर- 1
ओडिशा- 13
राजस्थान- 1
तमिल नाडु- 6
त्रिपुरा- 1
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश- 2
पश्चिम बंगाल- 3
अंडमान निकोबार द्वीप समूह- 5

पीएम जनमन परियोजना में 4.09 लाख पक्के मकानों के प्रावधान के लिए प्रति मकान 2.39 लाख की धनराशी का उपयोग होगा.

इसके साथ ही 8000 किलोमीटर के मार्ग को जोड़ने के लिए 1 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से 8000 करोड़ रूपए ख़र्च होंगे. इसके अलावा 10 ज़िलों के लिए 1000 मोबाइल चिकित्सा वैन 33.88.00 लाख रुपये प्रति वैन के हिसाब से ख़र्च होंगे.

इस योजना के तहत 500 छात्रावासों के निर्माण के लिए प्रति हॉस्टल 2.75 करोड़ रुपये, 60 आकांक्षी पीवीटीजी प्रखंड में व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल के लिए 50 लाख रुपये प्रति केंद्र, 2500 आंगनबाडी केन्द्रों के निर्माण के लिए 12 लाख रुपये प्रति आंगनबाड़ी, 1000 बहुउद्देशीय केंद्रों(Multipurpose Centers) के निर्माण के लिए 60 लाख रुपये और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का प्रावधान किया जाएगा.

केंद्र सरकार ने इस योजना पर कुल 15,336 करोड़ रुपए ख़र्च करने का ऐलान किया है. बाकी पैसा यानि 8,768 करोड़ रूपए राज्य सरकारों को ख़र्च करने हैं.

लेकिन इस बारे में अभी तक केंद्र सरकार ने यह नहीं बताया है कि राज्यवार सरकारों को कितना पैसा देना होगा. क्योंकि जहां तक आदिवासी समुदायों और जनसंख्या का सवाल है अलग अलग राज्यों में यह संख्या अलग अलग है.

PM JANMAN योजना के तहत विकास के दावे

प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासियों के गौरव के प्रतीक बिरसा मुंडा की जयंती और तीसरे ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के मौके पर झारखंड के खूंटी ज़िले के बिरसा कॉलेज मैदान से ‘प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (PM PVTG) मिशन की शुरुआत की जिसके दायरे में लगभग 28 लाख पीवीटीजी आएंगे.

सरकार के आधिकरिक बयान के मुताबिक, मिशन के तहत पीवीटीजी क्षेत्रों में सड़क और टेलीकॉम कनेक्टिविटी, पावर, सुरक्षित घर, साफ पीने का पानी और सफाई, मोबाइल मेडिकल यूनिट, सोलर स्ट्रीट लाइटिंग, मोबाइल टावर, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच और टिकाऊ रहन-सहन के मौके जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.

वहीं आयुष मंत्रालय मौजूदा मानदंडों के मुताबिक आयुष कल्याण केंद्र स्थापित करेगा और मोबाइल मेडिकल यूनिट के जरिऐ आयुष सुविधाओं का दायरा पीवीटीजी बस्तियों तक बढ़ाया जाएगा.

जबकि कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय इन समुदायों के उपयुक्त कौशल के अनुसार पीवीटीजी बस्तियों, बहुउद्देश्यीय केंद्रों और छात्रावासों में कौशल तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा.

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