मणिपुर हिंसा के करीब साल भर बाद अब घटनाक्रमों की जांच में बड़ी कमियां सामने आ रही हैं. राज्य के मैतेई बहुल थौबल जिले में भीड़ द्वारा कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है.
यह घटना पिछले साल 3 मई की है लेकिन बीते साल 19 जुलाई को जब इन दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया तो पूरा देश हिल गया था.
इस घटना ने बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया था और चौतरफा इसकी निंदा की गई. अब इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट से जो जानकारियां सामने आई हैं वो बेहद परेशान करने वाली हैं.
CBI ने चार्जशीट में क्या कहा है?
सीबीआई की चार्जशीट में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि जिस समय भीड़ इन महिलाओं का पीछा कर रही थी उस दौरान वो सड़क के किनारे खड़ी पुलिस की एक जिप्सी के अंदर बैठने में कामयाब हो गई थीं.
लेकिन जब उन्होंने पुलिस से गाड़ी चलाने का अनुरोध किया तो पुलिस चालक ने उन्हें बताया कि “गाड़ी की चाबी नहीं है.”
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि पुलिस ने दोनों ही महिलाओं को उनके हालात पर छोड़ दिया था. पुलिस का कहना था कि वहां उन्हें कोई खतरा ही नहीं है, जबकि उसके बाद जो कुछ भी हुआ उसने पूरे देश को शर्मसार किया.
सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि जिप्सी छोड़कर सभी पुलिसकर्मी मौका-ए-वारदात से चले गए थे. इसके बाद बड़ी संख्या में भीड़ वहां पहुंची और महिलाओं को जिप्सी से बाहर निकाल लिया. पुलिस के जाने के बाद उस भीड़ ने दोनों ही महिलाओं को नग्न परेड कराई थी और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया.
इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया, “पुलिस जिप्सी के पास आते समय भीड़ ने फिर से पीड़ितों को एक-दूसरे से अलग कर दिया था. दोनों महिला पीड़ित पुलिस जिप्सी के अंदर बैठने में कामयाब रहीं. उस समय पुलिस जिप्सी के अंदर सादी खाकी वर्दी पहने ड्राइवर समेत दो पुलिसकर्मी उनके साथ थे और तीन से चार पुलिसकर्मी बाहर खड़े थे.”
“एक पीड़ित पुरुष ने पुलिसकर्मियों से वाहन चलाने का अनुरोध किया, हालांकि पुलिस जिप्सी के चालक ने जवाब दिया, ‘उनके पास चाबी नहीं है.’ वे बार-बार पुलिसकर्मियों से उनकी मदद करने और भीड़ द्वारा हमला किए जा रहे एक व्यक्ति को बचाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन ‘पुलिस ने उनकी मदद नहीं की’.”
उस हमले में भीड़ ने एक महिला के भाई और पिता की हत्या कर दी थी. सीबीआई के आरोप-पत्र में यह भी कहा गया कि जब एक बड़ी भीड़ ने महिलाओं को वाहन के अंदर से बाहर निकाल लिया था उस समय घटनास्थल पर मौजूद सभी पुलिसकर्मी मौके से चले गए थे.
जबकि भीड़ में से कुछ लोगों ने ही महिलाओं को गांव की सड़क के किनारे खड़ी पुलिस जिप्सी के पास जाने के लिए कहा था.
सीबीआई जांच में पता चला कि एक बड़ी भीड़ पुलिस जिप्सी के पास पहुंची और उन्होंने जिप्सी के अंदर से एक पुरुष और दो महिलाओं को बाहर निकाला. इस बीच पुलिसकर्मी महिलाओं को भीड़ के साथ अकेला छोड़कर मौके से चले गए.
भीड़ ने दोनों महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए और एक पुरुष पीड़ित की पिटाई शुरू कर दी. पीड़ितों में से एक महिला पास के स्थान पर मौजूद थी और उसने पूरी घटना अपनी आंखों से देखी.
दरअसल सीबीआई ने पिछले साल 16 अक्टूबर को इस मामले (अपराध संख्या 110(06)/2023) की चार्जशीट गुवाहाटी के विशेष न्यायाधीश, सीबीआई कोर्ट में दाखिल कर दी थी.
उस समय सीबीआई ने एक बयान जारी कर बताया था कि मणिपुर वायरल वीडियो मामले में गुवाहाटी में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई अदालत के समक्ष छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र और कानून के साथ संघर्ष में एक किशोर (सीसीएल) के खिलाफ एक रिपोर्ट दायर की.
सीबीआई ने मणिपुर सरकार के अनुरोध और भारत सरकार से जारी अधिसूचना के बाद इस मामले की पिछले साल जांच शुरू की थी. उस दौरान थौबल ज़िले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था.
सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल करने के बाद अपने एक लिखित बयान में बताया, “यह आरोप लगाया गया था कि 4 मई, 2023 को अत्याधुनिक हथियारों से लैस लगभग 900 से एक हज़ार लोगों की भीड़ ने मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले के बी. फेनोम गांव में प्रवेश किया, घरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. उन लोगों ने संपत्तियों को लूटा, ग्रामीणों पर हमला किया. भीड़ ने हत्याएं कीं और महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया.”
“आरोपों के अनुसार एक पीड़ित के परिवार के दो सदस्य भी मारे गए. सीबीआई की जांच में पता चला कि आरोपी उक्त घटना में शामिल थे.”
जिन लोगों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है उनकी पहचान हुइरेम हेरोदाश मैतेई (32) है जिसे मणिपुर पुलिस ने 20 जुलाई को गिरफ्तार किया था.
इसके अलावा गिरफ्तार किए गए अरुण खुंडोंगबम उर्फ नानाओ (31), निंगोम्बम टोम्बा सिंह उर्फ टोमथिन (18),पुखरीहोंगबाम सुरंजॉय मैतेई (24), नामीराकपम किरम मैतेई (30) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
इसके अलावा एक नाबालिग को भी 20 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. इनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं.
क्या है पूरा मामला?
19 जुलाई 2023 में एक वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में भीड़ दो महिलाओं को बिना कपड़ों के परेड करा रही थी. एक महिला की उम्र लगभग 20 साल और दूसरे की उम्र लगभग 40 साल है.
वीडियो में ये भी देखा गया कि भीड़ से कुछ लोग पीड़िताओं को घसीट रहे हैं और उनका यौन उत्पीड़न कर रहे हैं. वीडियो के वायरल होने के बाद देशभर में इसपर चर्चा शुरू हो गई.
CBI ने अपने चार्जशीट में बताया कि इसके बाद कई और जगहों पर भी हिंसा हुई. मैतेई समुदाय की भीड़ ने एक गांव पर हमला किया और कई घरों को आग के हवाले कर दिया. इसके अलावा भीड़ ने पड़ोस के एक गांवों में भी कुछ घरों को निशाना बनाया.
जांच में ये भी पता चला कि 4 मई को आसपास के मैतेई गांव के प्रधानों और दूसरे समुदायों वाले गांव के लोगों के साथ एक बैठक हुई थी. चार्जशीट के अनुसार, बैठक के बावजूद भीड़ ने एक चर्च में और आसपास के कुछ घरों में आग लगा दी थी.
दरअसल, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष की व्यापक जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते जून महीने में गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था.
इस समय जांच आयोग के सदस्य पीड़ित परिवारों की जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं और जल्द ही हिंसा प्रभावित इलाकों में जन-सुनवाई का काम शुरू होगा.