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छत्तीसगढ़: परसा कोयला ब्लॉक में खनन के ख़िलाफ़ आदिवासियों का विरोध तेज़, हिंसा के बाद इलाक़े में तनाव

अक्टूबर 2021 में स्टेज 2 को मंजूरी दी गई थी. राज्य सरकार द्वारा परसा खनन परियोजना को अंतिम मंजूरी दिए जाने के बाद से आदिवासियों का आंदोलन तेज हो गया.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा ईस्ट और कांटे बासन (पीईकेबी) कोयला खनन क्षेत्र में तनाव फैला हुआ है. पुलिस का कहना है कि शुक्रवार को 300 आदिवासी लोगों ने एक अस्थायी शेड और एक जनरेटर में आग लगा दी.

आदिवासियों का विरोध छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) को आवंटित परसा कोयला ब्लॉक के खनन को अंतिम मंजूरी देने के ख़िलाफ़ आया. यहां के आदिवासी समुदाय लंबे समय से इस खनन का विरोध कर रहे हैं.

आदिवासियों के एक समूह ने शुक्रवार को अपने पारंपरिक हथियार लेकर पीईकेबी-स्टेज टू तक मार्च किया. कई महिलाओं वाले आदिवासियों का यह समूह धनुष और तीर, और कुल्हाड़ी लेकर खनन परियोजना के खिलाफ नारेबाजी करने पहुंचा था.

आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि परसा खनन परियोजना की वजह से 700 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो जाएंगे, और लगभग 841 हेक्टेयर घने जंगल नष्ट हो जाएंगे.

स्थानीय मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार प्रदर्शन करने वाले आदिवासी हरिहरपुर, फतेहपुर और सलही ग्राम पंचायतों के थे. यह लोग खनन स्थल से कोयले की आवाजाही को रोकने के लिए विरोध जारी रखने, और रेलवे लाइन को ब्लॉक करने की भी योजना बना रहे हैं.

फरवरी 2020 में परियोजना के स्टेज वन को फ़ॉरेस्ट क्लियरेंस दिया गया था, और अक्टूबर 2021 में स्टेज 2 को यह मंजूरी दी गई थी. राज्य सरकार द्वारा परसा खनन परियोजना को अंतिम मंजूरी दिए जाने के बाद से आदिवासियों का आंदोलन तेज हो गया.

सरगुजा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला ने मीडिया को बताया कि दस लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसमें घातक हथियारों से लैस दंगा, अतिचार और गलत संयम, सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें और शब्द, आपराधिक धमकी, और आग से शरारत करने समेत कई दूसरे आरोप हैं.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला के मुताबिक़ उदयपुर में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दस लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. उनका यह भी कहना है कि स्थानीय आदिवासियों द्वारा कई शिकायतें दर्ज कराए जाने के बावजूद राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है, और विरोध प्रदर्शन में तेज़ी इसी का नतीजा है.

परसा खनन ब्लॉक को मंजूरी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच मुलाक़ात के बाद आई. गहलोत ने बघेल से कोयला खनन मंजूरी में तेजी कर राजस्थान को बिजली संकट से बचाने की अपील की थी.

राज्य सरकार ने आरवीयूएनएल को पीईकेबी ब्लॉक के दूसरे चरण के लिए 1,136 हेक्टेयर क्षेत्र में कोयला खनन के लिए अनुमति दी है. आरवीयूएनएल का अडानी एंटरप्राइजेज के साथ समझौता है. अडानी एंटरप्राइजेज इस ब्लॉक का आधिकारिक खदान डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) है.

6 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने परसा खनन परियोजना को 15 शर्तों के साथ अंतिम मंज़ूरी दी थी.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

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