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राजस्थान: आदिवासी बच्चे बेचे जा रहे हैं, नेताओं को सूझ रही है राजनीति

राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक ने आदिवासी बच्चों को बेचे जाने का मुद्दा उठाया है. राज्य सरकार के मंत्री ने ऐसे 7 मामले आने की बात को स्वीकार तो किया लेकिन जवाब में क्या कहा कि कांग्रेस पर ही पड़ गया खेल उलटा.

राजस्थान की विधानसभा में बूंदी क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक मोहन लाल शर्मा ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देकर सरकार को घेरते हुए कहा था कि दिल्ली के दलाल एक विधानसभा क्षेत्र से आदिवासी बच्चों को बीस हज़ार रूपये में खरीद रहें हैं और फिर उन्हें आठ लाख रुपये में बेच रहे हैं.

विधायक मोहन लाल शर्मा ने सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अजन्मे बच्चों का भी सौदा किया जा रहा है.

शर्मा ने आरोप लगाया कि 6 दिन की बच्चियों को 7 हजार रुपये में बेचा गया है. 20 बच्चों को 40 और 50 हजार रुपये में बेचा गया है और यह सब विधानसभा क्षेत्र के पांच गांवों में हो रहा है

इस मामले पर सदन में जमकर हंगामा हुआ.

इसके बाद राजस्थान सरकार ने दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल गांवों में सात बच्चों को खुद माता-पिता द्वारा बेचे जाने की बात स्वीकार की है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले पर सफाई देते हुए राजस्थान विधानसभा में कहा कि इस संबंध में उदयपुर के फलासिया और बाघपुरा थानों में कुल 7 मामले दर्ज किए गए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने पुलिस को अलर्ट कर दिया है.
उन्होंने इस संवेदनशील मामले को लेकर कहा कि माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को बेचने की घटनाएं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं.

इसके बाद उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कार्यवाही कर रही है.
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए काउंसलिंग की ज़रूरत है लेकिन इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा.

इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री बोले कि इस मुद्दे को राजनीति से जोड़ने की ज़रूरत नहीं है. सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है.
गजेंद्र सिंह खींवसर ने उलटा कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि इन 7 मामलों में से 6 मामले वर्ष 2023 के हैं. एक मामला वर्ष 2024 में दर्ज किया गया है.

दरअसल, राज्य में पिछले साल यानि 2023 में ही चुनाव हुए हैं, इससे पहले कांग्रेस यहां सत्ता में थी. इस चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज कर अपना परचम फहराया था.

ऐसे में जब कांग्रेस सरकार ने आरोप लगाया तो सरकार ऐसे अपराधों को कम करने के लिए कोई कदम उठाने की बजाय इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में लग गई और कांग्रेस के कार्यकाल में अधिक अपराध होने के आरोप लगाने लगी.

इस हंगामे के बढ़ने पर मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने मामले का संज्ञान लिया है.

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