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आमराबाद टाइगर रिज़र्व में नहीं होगा यूरेनियम खनन, चेंचू आदिवासियों के हितों का रखा गया है ध्यान

अमराबाद टाइगर रिज़र्व (Amrabad Tiger Reserve – ATR) में यूरेनियम के खनिज का केंद्र सरकार का प्लान टल गया है. एटोमिक मिनरल्स डायरेक्टोरेट फ़ॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च (AMD) ने फ़िलहाल यूरेनियम के भंडार खोजने के लिए बोरहोल ड्रिल करने की योजना पर रोक लगा दी है.

तेलंगाना सरकार ने चेंचू आदिवासियों और वन्यजीव संरक्षण, विशेषकर बाघों के हितों की रक्षा के लिए, इस खोज का शुरु से विरोध किया था. इसके लिए विधानसभा और विधान परिषद में यूरेनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए थे.

अभी हाल ही में अमरााबाद टाइगर रिज़र्व में लगी आग में कुछ चेंचू आदिवासियों की मौत हो गई थी

इसके अलावा राज्य के वन विभाग ने अमराबाद टाइगर रिज़र्व में यूरेनियम की खोज के दुष्प्रभावों पर केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें परियोजना के निलंबन की अपील की थी. अब केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए एएमडी की अनुमति को अस्वीकार कर दिया है.

यूरेनियम परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का एक सामान्य ईंधन है. 2019 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ATR में लगभग 90-वर्ग किमी में फैले यूरेनियम का सर्वेक्षण और अन्वेषण करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy – DAE) के एक प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी.

लेकिन इस परियोजना को लेकर पर्यावरण समूहों, संरक्षणवादियों और गैर सरकारी संगठनों सहित दूसरे वर्गों द्वारा कड़ा विरोध किया गया था. तभी तेलंगाना सरकार ने परियोजना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

राज्य सरकार और पर्यावरण समूहों का तर्क था कि यूरेनियम की खोज से जल प्रदूषण होगा, जिससे वन्यजीवों, विशेषकर बाघों के लिए ख़तरा पैदा होगा. इसके अलावा इलाक़े के चेंचू आदिवासियों पर भी बुरा असर पड़ेगा.

यूरेनियम खनन से रेडियोएक्टिव सामग्री पास बहने वाली कृष्णा नदी को भी प्रदूषित कर देती, और यहा पानी हैदराबाद और दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है. इसीलिए यूरेनियम खनन से ATR के अंदर ही नहीं, बल्कि दूर के इलाक़ों पर भी असर पड़ता.

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