HomeAdivasi Dailyजंगल की आग में फँसे 11 चेंचू आदिवासी, एक की मौत

जंगल की आग में फँसे 11 चेंचू आदिवासी, एक की मौत

प्रशासन ने बताया है कि अमराबाद टाइगर रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में लगी आग में कम से कम 11 आदिवासी फँस गए थे. ये आदिवासी टाइगर रिज़र्व के घने जंगल में चेंचू आदिवासी बस्ती के लोग हैं.

तेलंगाना के टाइगर रिज़र्व फ़ॉरेस्ट (Amrabad Tiger Reserve Forest) में लगी आग में एक चेंचू (Chenchu) आदिवासी समुदाय के आदमी की जल कर मौत हो गई है. 

प्रशासन के अनुसार यह इस तरह की पहली दुर्घटना है जब जंगल की आग में किसी आदिवासी की मौत हुई है. जिस आदिवासी की मौत हुई है उसका नाम लिंगामैया बताया गया है. प्रशासन के अनुसार उसकी उम्र क़रीब 40 की थी. 

जंगल की आग में झुलस जाने के बाद लिंगमैया को ओसमानिया अस्पताल में दाख़िल कराया गया था. उनके अलावा इस दुर्घटना में 3 और आदिवासी झुलस गए थे. इन तीनों का फ़िलहाल इलाज चला रहा है. 

प्रशासन ने बताया है कि अमराबाद टाइगर रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में लगी आग में कम से कम 11 आदिवासी फँस गए थे. ये आदिवासी टाइगर रिज़र्व के घने जंगल में चेंचू आदिवासी बस्ती के लोग हैं. 

इस बस्ती का नाम मल्लापुर पेंटो बताया गया है. अधिकारियों के अनुसार ये आदिवासी जंगल में कांदे (Wild Tuber) और शहद (Wild Honey) की तलाश में निकले थे. 

अमराबाद टाइगर रिज़र्व फ़ॉरेस्ट के अधिकारियों के अनुसार जनवरी महीना ख़त्म होते होते जंगल में घास सूखने लगती है. इसके बाद पतझड़ का मौसम आते आते जंगल सूखी घास और पत्तों से भर जाता है. इन हालात में एक मामूली चिंगारी भी जंगल में आग लगा देती है.

अधिकारियों ने कहा है कि अभी तक जंगल में आग लगने की सही सही वजह का पता नहीं चला है. लेकिन प्रशासन ने आशंका जताई है कि आमतौर पर शहद की तलाश में जंगल में आदिवासी धुआँ इस्तेमाल करते हैं. 

इसके लिए वो कई बार पेड़ों के नीचे आग भी जला देते हैं. लेकिन यह विधि कई बार बेहद ख़तरनाक साबित होती है. 

राज्य सरकार की तरफ़ से आग में झुलसने के बाद मारे गए लिंगमैया के परिवार को फ़ौरी तौर पर एक लाख रूपये देने का ऐलान किया है. 

इसके अलावा सरकार ने कहा है कि प्रशासन उनके परिवार की पूरी ज़िम्मेदारी लेगा. उनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर ब्याह शादी तक का ख़र्च प्रशासन उठाएगा. 

चेंचू आदिवासी ओड़िशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के घने जंगलों में रहते हैं. ये आदिवासी अभी भी लगभग पूरी तरह से जंगल से मिलने वाले उत्पादों पर ही ज़िंदा रहते हैं. 

चेंचू आदिवासी जंगल से कई तरह के पत्ते, कंद-मूल, साग और फल जमा करते हैं. इसके अलावा ये आदिवासी जंगली शहद जमा करने में माहिर माने जाते हैं. ये आदिवासी एक समय में माहिर शिकारी थे. 

लेकिन शिकार पर लगी पाबंदी के बाद इन आदिवासियों के पास कंद-मूल और फूल पत्तों पर जीने के अलावा कोई और उपाय नहीं हैं. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments