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राहुल गांधी ने आदिवासियों से जल-जंगल-ज़मीन और जनगणना का वादा किया

कांग्रेस के नेता और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi Bastar visit) छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. छत्तीसगढ़ का बस्तर आदिवासी बहुल क्षेत्र है.

राहुल गांधी ने एक बार फिर आदिवासियों से कांग्रेस गारंटी (Congress Guarantee) के तहत कई वादे किए हैं.

अपने इस भाषण में उन्होंने कांग्रेस के पांच कामों के बारे में बताया. इनमें युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय शामिल हैं.

हिस्सेदारी न्याय में उन्होंने आदिवासियों के आधिकारों (Congress promises to tribals) से जुड़े वादे किए है. आइए इन वादों के बारे में विस्तार से बात करते हैं.

जातीगत जनगणना

कांग्रेस पार्टी ने यह वादा किया है कि वे देश में जातीगत जनगणना करावाएंगी. ताकि हर वर्ग की जनसंख्या के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हो.

कांग्रेस का दावा है कि जातीगत जनगणना से वे आदिवासी सहित हर वर्ग को सामाजिक और आर्थिक समानता देंगे.

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50 प्रतिशत आरक्षण

सरकारी शिक्षा और नौकरी से जुड़े किसी भी प्रतियोग्यता में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा है.  

कांग्रेस सरकार ने इसी सीमा को तोड़ने का वादा किया है.

बस्तर में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि वे संवैधानिक संशोधन के तहत अनुसूचित जनजाति सहित अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग को 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण प्रदान करेंगे.

एसटी/एससी सब प्लान

राहुल गांधी ने यह वादा किया है की वे एसटी/एससी सब प्लान लेकर आएंगे. इसके तहत अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के जनसंख्या के आधार पर उन्हें बजट में हिस्सा दिया जाएगा.

कांग्रेस पार्टी का दावा है कि ऐसा करने से वे अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति को बजट में बराबर का हक दे पाएंगे.

जल, जंगल, ज़मीन का वादा

राहुल गांधी ने अपने भाषण में यह भी वादा किया है कि वे आदिवासियों को उनके जल, जंगल और ज़मीन का अधिकार दिलाएंगे.

राहुल गांधी की बात क्यों महत्वपूर्ण है

राहुल गांधी ने आदिवासियों के बारे में जो कहा है, वह आदिवासियों के मुद्दों का शायद ठोस हल की उम्मीद देता है.

संसद में अलग अलग समय में बहस के दौरान यह बात सामने आई है कि देश में आदिवासियों की सही सही जनसंख्या पता लगाना बेहद ज़रूरी है.

क्योंकि जनसंख्या के सही सही आंकड़ों नहीं होने से आदिवासियों के लिए बनी योजनाओं को ज़मीन पर लागू करना और संसाधनों का सही सही बंटवारा संभव नहीं है.

कुछ महीन पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अति पिछड़े यानि पीवीटीजी समुदायों के लिए 24000 करोड़ रुपये ख़र्च करने का ऐलान किया था.

लेकिन आदिवासी मामलों का मंत्रालय आज तक इन आदिवासियों की सही सही जनसंख्या का पता ही नहीं लगा पाया है.

इसलिए यह पैसा अभी तक ख़र्च नहीं हुआ है.

आरक्षण के मामले में राहुल गांधी ने जो कहा है वह कम से कम छत्तीसगढ़ में तो आदिवासियों के लिए बहुत मायने रखता है.

क्योंकि यहां पर राज्य गठन के बाद आदिवासियों की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण कम है. राज्य में भूपेश बघेल ने आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाने का बिल पास किया था.

लेकिन राज्यपाल ने उस बिल को मंजूरी नहीं दी थी.

अगर लोकसभा चुनाव 2024 के संदर्भ में कांग्रेस और बीजेपी के वादों की तुलना की जाए तो आदिवासियों के लिए बीजेपी ने अलग अलग योजनाओं की घोषणा की है.

लेकिन इन योजनाओं में फौरी राहत यानि कुछ समय के लिए मदद का प्रावधान है. लेकिन कांग्रेस पार्टी आदिवासियों के सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं.

2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के ज़माने में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार ने कई ऐसे काम किये भी थे.

2006 में बना वन अधिकार अधिनियम ऐसा ही एक कानून था जिसने जल-जंगल-जमीन पर आदिवासी को हक दिया था.

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