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रूपा तिर्की मामले की होगी सीबीआई जांच, झारखंड हाई कोर्ट ने दिया आदेश

झारखंड हाई कोर्ट ने मई में साहिबगंज पुलिस अधिकारी रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई द्वारा जांच का आदेश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने एडवोकेट जनरल राजीव रंजन और अतिरिक्त एडवोकेट जनरल सचिन कुमार के अदालत की अवमानना (Contempt of Court) की कार्यवाही शुरू करने का भी निर्देश दिया है.

साहिबगंज महिला थाने की प्रभारी 26 साल की रूपा तिर्की 3 मई को अपने सरकारी आवास पर मृत पाई गई थीं. झारखंड पुलिस की जांच के अनुसार, तिर्की के दोस्त और सहयोगी, सब-इंस्पेक्टर शिव कुमार कनौजिया के कथित रूप से परेशान करने की वजह से उन्होंने आत्महत्या की थी. कनौजिया को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया.

हालांकि, तिर्की के पिता देवानंद उरांव ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की हत्या की गई है. जून में, उन्होंने मामले की सीबीआई जांच के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. उनका आरोप था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और दाहू यादव नाम के एक व्यक्ति के कहने पर कुछ सहयोगियों ने उनकी बेटी को परेशान किया.

देवानंद उरांव ने यह भी आरोप लगाया था कि चूंकि उनकी बेटी कुछ मामलों की जांच में पंकज मिश्रा के खिलाफ़ गई थी, इसलिए उसकी हत्या कर दी गई.

रूपा तिर्की की मौत पर आदिवासी संगठनों और राजनीतिक दबाव के बाद, हेमंत सोरेन सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया. तिर्की के पिता ने सरकार के इस फैसले को भी हाई कोर्ट में चुनौती दी.

बुधवार को जस्टिस एसके द्विवेदी की बेंच ने सीबीआई जांच का निर्देश दिया.

अब तक का मामला

3 मई: साहिबगंज पुलिस अधिकारी रूपा तिर्की अपने सरकारी आवास पर मृत मिलीं.

9 मई: तिर्की के दोस्त और एसआई शिव कुमार कनौजिया “आत्महत्या के लिए उकसाने” के आरोप में गिरफ्तार

जून में, तिर्की के पिता ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की, मामले को हत्या बताया

परिवार, आदिवासी समूहों और विपक्ष की मांगों के बाद, राज्य सरकार द्वारा एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन; तिर्की के पिता ने फैसले को दी चुनौती

1 सितंबर: झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया

रूपा तिर्की के अंतिम संस्कार की तस्वीर

एजी, एएजी के खिलाफ़ अवमानना ​​की कार्यवाही

बेंच ने मामले में सुनवाई के दौरान उनकी एक टिप्पणी के लिए एजी राजीव रंजन और एएजी सचिन कुमार के खिलाफ़ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने का भी आदेश दिया.

इससे पहले एक वर्चुअल सुनवाई के दौरान, दिन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी याचिकाकर्ता के वकील का माइक्रोफोन चालू रखा गया था. वकील को अपने आस-पास बैठे लोगों को यह कहते हुए सुना गया कि उन्हें “200% यकीन है कि अदालत मामले में सीबीआई जांच का आदेश देगी.”

एजी और एएजी ने इसे अगले दिन बेंच के सामने उठाया, जिस पर न्यायमूर्ति द्विवेदी ने पूछा कि क्या वे एफ़िडेविट के माध्यम से अपनी बात रखने को तैयार हैं. उन्होंने मना करते हुए कहा कि उनका मौखिक समर्पण काफ़ी है.

जस्टिस द्विवेदी ने तब सुनवाई से खुद को अलग करने की घोषणा की, और याचिका को आगे के निर्देश के लिए चीफ़ जस्टिस के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया. लेकिन चीफ़ जस्टिस ने जस्टिस द्विवेदी की अदालत में सुनवाई जारी रखने को कहा.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने एक और याचिका दायर कर एजी और एएजी के खिलाफ़ अवमानना ​​​​कार्यवाही की मांग की. अदालत ने इसे खारिज तो किया, लेकिन मामले का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया.

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