कोया आदिवासियों के गाँव में एक मुर्ग़े ने कैसे तोड़ा चैंपियन का घमंड

आज हम आपको कोया आदिवासियों के एक गाँव में लिए चलते हैं. यहीं पर यह वीडियो देख लीजिए क्योंकि एक तो यह गाँव घने जंगल में है और रास्ता कच्चा है. इसके अलावा यहाँ पर माओवादियों के प्रभाव की वजह से भी बाहरी लोग यहाँ जाने से कतराते हैं.

0
739

हम लोग दिन भर मल्कानगिरी ज़िले की कालीमेला ब्लॉक के अलग अलग गाँवों में घूमते रहे. यहाँ हम कोया आदिवासियों से मिल रहे थे.

शाम होती थी जब ह जब्बनपल्ली नाम के इस गाँव में पहुँचे थे. गाँव के बाहर ही लोग जमा थे. पता चला कि आज यहाँ पर साप्ताहिक हाट है.

इस हाट में एक थोड़ी से अजीब लगने वाली बात मैंने नोटिस की. यहाँ एक-दो औरतें ही मौजूद थीं. आदिवासी इलाक़ों में यह बात अजीब ही है.

क्योंकि आदिवासी इलाक़ों में तो हाट चलाती ही महिलाएँ हैं. पता चला कि यहाँ पर साप्ताहिक मुर्ग़ा लड़ाई का खेल होने वाला है.

एक बाड़ा बनाया गया था जिसमें मुर्ग़ों को लड़ाया जाता है. कई लोग अपने अपने मुर्ग़ों के पैरों में ब्लेड बांध रहे थे. यहाँ बड़े हुनर का काम बताया जाता है.

बड़ी तादाद में लोग इस लड़ाई पर शर्त लगाने को बेताब थे. हालाँकि उनके हाथ में 10-20 रूपये के ही नोट थे.

तो यह वीडियो उसी खेल का है. आनंद लीजिए, कोया आदिवासी गाँव की इस शाम का.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here