आदिवासी हाट में इस समुदाय की बनावट समझ सकते हैं

इस बाज़ार में इस घाटी के गाँवों से कम से कम 20-25 हज़ार आदिवासी हर सप्ताह आते हैं. ये आदिवासी अपने खेतों में उगने वाली फ़सल के अलावा जंगल से मिलने वाली कई चीज़ें लाते हैं. इस बाज़ार में चल रही गतिविधियों को देख कर आप काफ़ी हद तक आदिवासी समुदाय, उनके समाज और सामाजिक आर्थिक रिश्तों को समझ सकते हैं.

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आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले की आरकू घाटी में कई आदिवासी समुदाय बसते हैं. इन आदिवासियों के ज़्यादातर गाँव पहाड़ी ढलानों पर बसे हैं.

ये आदिवासी छोटी मोटी खेती करते हैं. इसके अलावा जंगल से वन उत्पाद जमा करते हैं. आदिवासी समुदायों में आमतौर पर घर चलाने की ज़िम्मेदारी औरतों पर ही होती है.

औरतें घर का तो पूरा काम करती ही हैं. खेतों और जंगल में भी औरत ही ज़्यादा काम करती हैं. आरकू घाटी में हर शुक्रवार को एक बाज़ार लगता है.

इस बाज़ार में इस घाटी के गाँवों से कम से कम 20-25 हज़ार आदिवासी हर सप्ताह आते हैं. ये आदिवासी अपने खेतों में उगने वाली फ़सल के अलावा जंगल से मिलने वाली कई चीज़ें लाते हैं.

यहाँ पर अपनी लाई चीजें बेच कर ये आदिवासी अपनी ज़रूरत का सामान ख़रीद कर लौट जाते हैं. हमें आरकू घाटी के इस बाज़ार में कुछ समय बिताने का मौक़ा मिला.

इस बाज़ार में चल रही गतिविधियों को देख कर आप काफ़ी हद तक आदिवासी समुदाय, उनके समाज और सामाजिक आर्थिक रिश्तों को समझ सकते हैं.

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