आदिम जनजाति निकोबारी समुदाय की ख़ासियत और अंतर्विरोध

ना ही यह समाज प्रेम विवाह को ग़लत मानता है. निकोबारी परिवार लड़के और लड़कियों को अपना जीवन साथी चुनने का पूरा हक़ और समय देता है. बल्कि यह कहना कही होगा कि यही इस समाज के जीने का अंदाज़ है. पर यह समुदाय किसी भी सूरत में किसी अन्य समुदाय में शादी ब्याह को स्वीकार नहीं करता है.

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निकोबार द्वीप समूह की हमारी यात्रा में हमें कई द्वीपों पर जाने का मौका मिला. इस दौरान यहां के कई परिवारों से हमारी मुलाकात हुई.

इस सिलसिले में हम सबसे पहले लारेंस मैथ्यू के परिवार से मिले. निकोबारी घर को तुहेद कहा जाता है. लारेंस के घर में इस परिवार की तीन पीढ़ी साथ रहती हैं. Joint family यानि संयुक्त परिवार निकोबारी समुदाय की ख़ासियत है.

आमतौर पर इन परिवारों में 30-40 लोग रहते हैं. लेकिन कई परिवार तो 100 से भी ज़्यादा सदस्यों के मिल जाते हैं. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में निकोबारी जनजाति ने सबसे पहले आधुनिक कहे जाने वाली दुनिया से नाता जोड़ा और अब यह समाज मुख्यधारा की तरह ही जीता है.

लेकिन अपनी पहचान, परंपरा और सामाजिक नियमों के मामले में यह समाज अडिग है. 

ज़ाहिर है जब परिवार बड़ा है तो परिवार की रसोई भी बड़ी होगी. जब आप इन घरों की रसोई में जाते हैं तो आपको लगता है कि किसी बड़े भोज की तैयारी हो रही है.

लेकिन यह इनके रोज़ का खाना ही बन रहा है. इन घरों की रसोई में महिलाएं मिलकर खाना बनाती है. खाने में सुअर का मांस, मछली, कछुआ, केंकड़ा, निकोबारी आलू के साथ चावल शामिल है.

लेकिन इस रसोई में हमारा ध्यान खींचा एक ख़ास फल ने. इस फल को निकोबारी भाषा में कुवोयनी कहा जाता है. इंग्लिश में इस फल का नाम पेंडेनस बताया गया है. यह फल समुद्र तटीय इलाक़ों में होता है. इस फल से एक ख़ास डिश तैयार होती है.

लेकिन इसे तैयार करने में काफ़ी समय, मेहनत और हुनर लगता है. पहले इस फल को क़रीब 12 घंटे भाप दिया जाता है. उसके बाद खुरच कर इसका गुदा निकाला जाता है. फिर एक धागे से इसमें से वो रेशे बाहर किए जाते हैं जो चबाए नहीं जा सकते हैं.

भारत में यह फल शायद निकोबार में ही पाया और खाया जाता है. वैसे थाइलैंड और फिलीपीनी में भी यह फल काफ़ी पॉपुलर है. नारियल जिसे स्थानीय भाषा में खोपरा कहा जाता है, निकोबारी खाने में खूब इस्तेमाल होता है. निकोबार में नारियल की अलग अलग वेरायटी मिलती है.

निकोबारी परिवार वर्जिन कोकोनट ऑयल भी तैयार करते हैं. इस प्रोसेस में भी लंबा समय लगता है. लारेंस मैथ्यू के परिवार के साथ हमें भी निकोबार के लगभग सभी तरह से खाने देखने और चखने का मौक़ा मिला. 

सेंट्रल निकोबार के कमोर्टा द्वीप है. इस द्वीप और कार निकोबार में बोली जाने वाली निकोबारी भाषा में काफ़ी फ़र्क़ है. लेकिन रहन-सहन और खाना पीना लगभग एक जैसा ही है.

यहाँ भी हमारी मुलाक़ात एक निकोबारी परिवार से हुई. यह भी एक बड़ा परिवार है. ज़ाहिर है इनके भी घर बड़े हैं और एक मचान पर ही बनाए गए हैं. लेकिन कार निकोबार की तुलना में ये घर थोड़े से अलग हैं. इन घरों में लोहे का इस्तेमाल कम मिलता है. 

संयुक्त परिवार के अलावा निकोबारी समाज में और कई तरह की कुछ और ख़ासियत हैं जो काफ़ी हद तक अंतर्विरोधी भी लगते हैं. मसलन इस समाज में लड़के लड़कियों को घुलने मिलने में कोई आपत्ति नहीं है.

ना ही यह समाज प्रेम विवाह को ग़लत मानता है. निकोबारी परिवार लड़के और लड़कियों  को अपना जीवन साथी चुनने का पूरा हक़ और समय देता है. बल्कि यह कहना कही होगा कि यही इस समाज के जीने का अंदाज़ है. पर यह समुदाय किसी भी सूरत में किसी अन्य समुदाय में शादी ब्याह को स्वीकार नहीं करता है.

इन समुदायों के लड़के लड़कियों को प्रेम विवाह करने पर मार नहीं दिया जाता है. लेकिन इस तरह का फ़ैसला करने वाले को परिवार छोड़ना पड़ता है. उसके बाद उन्हें समुदाय का हिस्सा नहीं माना जाता है. 

निकोबारी समाज में बेशक आपको कई तरह के अंतर्विरोध नज़र आएँगे. यह समाज ख़ुद भी इन अंतर्विरोधों को लंबे समय तक शायद नज़र अंदाज़ ना करे.

लेकिन इस समुदाय ने ख़ुद को ना सिर्फ़ ख़ुद को ज़िंदा रखा है, बल्कि तरक़्क़ी की है. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में जब बाक़ी मूल जनजातियों के अस्तित्व का ख़तरा बना हुआ है, यह समाज अपनी भाषा की स्क्रिप्ट तैयार कर चुका है. यह समुदाय जितना अपने इतिहास से सरोकार रखता है उतना ही भविष्य को लेकर इस समाज के लोगों में आकांक्षाएँ हैं. 

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