आदिवासी धार्मिक और सामाजिक परंपराओं में चावल से बनने वाली हड़िया यानि राइस बीयर और महुआ से बनने वाली शराब का विशेष महत्व है. आदिवासी अपने हर पर्व या फिर शुभ अवसर पर अपने देवताओें और पुरखों को हड़िया या महुआ की शराब चढ़ाते हैं.
आदिवासी समाज में शराब के बारे में एक और ख़ास बात है. यह ख़ास बात है कि यहाँ पर शराब बनाने की अनुमति सिर्फ़ महिलाओं को ही है. इसके अलावा अगर आप आदिवासी इलाक़ों में जाएँगे तो पाएँगे कि वहाँ गाँव के कई घर ऐसे होते हैं जो एक बार की तरह से चलते हैं.
यहाँ की ख़ास बात ये होती है कि इन बार को भी महिलाएँ ही चलाती हैं. इसके अलावा एक और बेहद ख़ास बात इन आदिवासी बार में होती है, वह है यहाँ का माहौल. इन आदिवासी बार में महिलाओं के लिए उतना ही सुरक्षित वातावरण होता है जितना पुरूषों के लिए.
हाल ही में मैं भी भारत की टीम को ओडिशा के नीलगीरि ब्लॉक के एक छोटे से आदिवासी गाँव में जाने का मौक़ा मिला. यहाँ पर हमने हंडिया बनाने से लेकर इन बार में कैसा माहौल होता है, यह समझने की कोशिश की है.