आदिवासियों की भाषा है ‘हो’, इसलिए हो रहा है भेदभाव

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‘हो’ भाषा को संविधान की अनुसूची 8 में शामिल करने की माँग लंबे समय से की जा रही है. यह आदिवासी भाषा अगर संविधान की अनुसूचित 8 में शामिल हो जाती है तो यह भारत की मान्यता प्राप्त भाषाओं में शामिल हो जाएगी. इस कदम से इस भाषा के विकास को बल मिल सकता है.

ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम में कम से कम 35 लाख लोग यह भाषा बोलते हैं. आख़िर ‘हो’ भाषा को अभी तक संविधान की अनुसूचित 8 में शामिल क्यों नहीं किया जा सका है. इसके अलावा ओडिशा में आदिवासी मसले क्या हैं? मैं भी भारत की इंटरव्यू सीरीज़ में हमने बात की है लक्ष्मीधर सिंह से, जो ख़ुद हो आदिवासी हैं. लक्ष्मीधर ‘हो’ भाषा एक्शन कमेटी के महासचिव रहे हैं.

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