सापुतारा गुजरात का एक जाना माना हिल स्टेशन है. डांग ज़िले में स्थित इस हिल स्टेशन की ख़ूबसूरती श्ब्दों में बताना मुश्किल है. यहां तक पहुंचने का रास्ता ही अपने आप में इतना ख़ूबसूरत नज़ारों से भरा है कि किसी का भी मन मोह लेता है.
जंगल, पहाड़, झरने और झील ना जाने क्या क्या है जो सैलानियों के मन को बहलाते हैं. यहां पर सैलानियों के आराम के लिए भी तमाम इंतज़ाम हैं.
सापुतारा का शाब्दिक अर्थ “सांपों का घर” बताया जाता है. कहते हैं कि यहां पर कई प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं. लेकिन यह नहीं बताया जाता की सापुतारा एक आदिवासी बहुल इलाका है.
इसके अलावा यह भी सच है कि 1969-70 में सापुतारा हिल स्टेशन की स्थापना के लिए यहां से आदिवासियों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया गया था.
ये विस्थापित आदिवासी आज भी अपने हक़ों के लिए तरस रहे हैं. हालात ये हैं कि ये आदिवासी चाहते हैं कि उनके घरों का महसूल कर जमा कर सकें. क्योंकि उसके बाद ही वो अपने घर गिरवी रख कर बैंकों से लोन ले सकते हैं.
ये आदिवासी चाहते हैं कि खेती किसानी तो अब उनके पास रही नहीं है. कम से कम उनके बच्चे हिल स्टेशन पर कुछ ठेले ही लगा लें. लेकिन उनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वो यह भी कर सकें.
मैं भी भारत की टीम उस नवगांव में पहुंची और वहां लोगों से इस पूरे मसले पर विस्तार से बातचीत की. उसी बातचीत पर आधारित ये रिपोर्ट हैं.