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तेलंगाना: 2200 एकड़ वन भूमि पर गैर-आदिवासियों का कब्ज़ा

कुछ गैर-आदिवासी कब्ज़ाधारी पदयात्रा निकालकर इस भूमि को पोडु भूमि बताने की कोशिश कर रहे हैं. वन विभाग का आरोप है कि गैर-आदिवासी, आदिवासी समुदाय को सामने करके अधिकारियों के खिलाफ विरोध खड़ा करते हैं.

तेलंगाना के कोमराम भीम आसिफाबाद ज़िले में वन विभाग द्वारा की गई हालिया सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में चौंकाने वाली बात सामने आई है.

कागज़नगर वन प्रभाग के करजेली रेंज में गैर-आदिवासी परिवारों द्वारा बड़ी मात्रा में वन भूमि पर कब्ज़ा किया गया है.

आंकड़ों के मुताबिक, कुल 2,200 एकड़ भूमि पर कब्ज़ा किया गया है.

इसमें से लगभग 1,400 एकड़ ज़मीन 60 गैर-आदिवासी परिवारों के पास है.

इन परिवारों ने औसतन 20 से 30 एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है और हर साल अपने क्षेत्रफल को और बढ़ा रहे हैं.

बांडेपल्ली और डिम्डा बीट में हालात बेहद गंभीर है.

बांडेपल्ली बीट के 16 परिवारों ने 472 एकड़ (लगभग 189 हेक्टेयर) भूमि पर कब्ज़ा कर रखा है तो वहीं डिम्डा बीट के 44 परिवारों ने 634 एकड़ (लगभग 254 हेक्टेयर) भूमि को अपने नियंत्रण में ले रखा है.

कुछ गैर-आदिवासी इन जमीनों का इस्तेमाल पैसे उधार देने और व्यापार करने में भी कर रहे हैं.

वन्यजीव और किसानों के बीच टकराव

वन विभाग का कहना है कि इस अवैध कब्ज़े का असर वन्यजीवों की आवाजाही पर भी पड़ा है.

पिछले साल महाराष्ट्र के चपराला वन्यजीव अभयारण्य से हाथियों का झुंड प्राणहिता नदी पार करके कागज़नगर इलाके में आया था. इस दौरान हाथियों ने दो किसानों की जान ले ली.

मानव-वन्यजीव टकराव को कम करने के लिए वन विभाग ने कब्ज़ा करने वाले कुछ लोगों से समझौता किया है.

इसके तहत उन्हें आजीविका के लिए सिर्फ 2–3 एकड़ ज़मीन रखने की अनुमति दी गई है और बाकी ज़मीन वापस लेकर वहां वृक्षारोपण किया जा रहा है.

पोडु भूमि का दावा और पेड़ों की कटाई

कुछ गैर-आदिवासी कब्ज़ाधारी पदयात्रा निकालकर इस भूमि को पोडु भूमि बताने की कोशिश कर रहे हैं.

नवंबर 2024 में ऐसे कब्ज़ों के चलते 600 से अधिक पेड़ काटे गए थे. बाद में जांच में पता चला कि यह कटाई अवैध तरीके से अपनी ज़मीन के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए की गई थी.

आदिवासियों को ढाल बनाया जा रहा

वन विभाग का आरोप है कि गैर-आदिवासी, आदिवासी समुदाय को सामने करके अधिकारियों के खिलाफ विरोध खड़ा करते हैं.

डिम्डा (चिंटलमनपल्ली मंडल) और जय हिंदपुर (पेंचकल्लपेट मंडल) में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां गैर-आदिवासियों ने आदिवासियों को उकसाया ताकि आदिवासियों के दोबारा भूमि प्राप्त करने के प्रयासों को रोका जा सके.

वन विभाग का रुख

कागज़नगर के वन प्रभागीय अधिकारी सुषांत सुकदेव का कहना है कि जो आदिवासी परिवार 2–4 एकड़ भूमि पर जीवनयापन के लिए खेती कर रहे हैं, उन्हें परेशान नहीं किया जा रहा है.

लेकिन जिन गैर-आदिवासियों के पास कोई कानूनी पट्टा नहीं है और जो बड़े पैमाने पर ज़मीन घेर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई ज़रूरी है.

यह सर्वे साफ करता है कि गैर-आदिवासियों द्वारा बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्ज़ा आदिवासी आजीविका और वन्यजीव संरक्षण के लिए भी गंभीर खतरा है.

वन विभाग ने ऐसे अवैध कब्ज़ों को खत्म करने और प्रभावित क्षेत्रों में हरियाली बहाल करने के लिए अभियान तेज़ करने का दावा किया है.

(Image is just for representation.)

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