वायनाड के कट्टुनायकन के आदिवासी सनतोष, पुलपालली पालाकोली के रहने वाले शेखरन और वेल्लामुंडा वेल्लारमकुन के श्रीधरन इन तीनों की, जून से जुलाई 2023 के बीच रहस्यमय मृत्यु हुई थी. चौंकाने वाली बात ये रही की यह तीनों ही वायनाड के रहने वाले है और सभी काम के सिलसिले में वायनाड के आस पास की बस्तियों से बाहर गए थे.
संतोष का केस
राज्य मानवाधिकार आयोग ( SHRC ) ने संतोष के मामले में पुलिस को जल्द से जल्द कार्यवाई करने का आदेश दिया है. 17 जुलाई के दिन संतोष के परिवार को उनका शव कर्नाटक के कुर्ग में मिला था.
परिवार वालो को सूचित किया गया की संतोष की मृत्यु डूबने से हुई थी. वहीं परिवार का कहना है कि संतोष एक अच्छा तैराक था. तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि उनकी मृत्यु डूबने से कैसे हुई ? साथ ही, संतोष के साथ काम करने वालों की तरफ से परिवार के लोगों को पुलिस के पास ना जाने की धमकी भी दी गई थी.
अब कोर्ट की तरफ़ से यह आदेश आया है की पुलिस जल्द से जल्द इसमें जांच करे. पुलिस को अपनी रिपोर्ट तीन हफ्ते में कोर्ट में जमा करा दे.
इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी.
शेखरन का केस
संतोष की तरह ही शेखरन भी वायनाड के पुलपालली गांव का रहने वाला था. लेकिन काम के सिलसिले में वायनाड के पास की एक बस्ती से कोटक में आया था.
परिवार वालों के अनुसार शेखरन अप्रैल में खेती के लिए कोटक गया था. इसके करीब दो हफ्ते बाद परिवार वालो को खबर मिलती है कि उनके बेटे की तबियत कुछ ठीक नहीं है और वो जल्द से जल्द कोटक आ जाए.
जैसे ही शेखरन का भाई बाबू कोटक पंहुचा. अपने भाई को अस्थायी अवस्था में देख बाबू ने उसे सरगुल विवेकानंद मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया. जिसके बाद 20 जून को शेखरन की मृत्यु हो गई.
जैसे ही शेखरन का शव घर की ओर ले जाया जा रहा था तब परिवार के लोगो ने देखा की शेखरन के शरीर में बढ़े – बढ़े घावों थे और शरीर के कुछ अंतरिक अंग भी गायब थे. शेखरन के परिवार वालो का यह दावा है कि उसकी हत्या की गई थी.
श्रीधरन का केस
एक और आदिवासी युवक श्रीधरन की मौत का मामला भी सदिंग्ध बताया जा रहा है. इन तीनों केस में यह समान्यता दिखी की सभी युवक थे और वायनाड के जिले में रहते थे. लेकिन काम के सिलसिले में वायनाड के पास के बस्ती में आए. इसके बाद इन तीनों की ही रहस्यमय मृत्यु हो जाती है. तो ऐसे में सवाल उठता है की क्या वायनाड के युवकों को सवाधान रहना चाहिए ?