HomeAdivasi Dailyआदिवासी मज़दूरों के साथ पुलिस ने की मारपीट, औरतों से भी बदसलूकी

आदिवासी मज़दूरों के साथ पुलिस ने की मारपीट, औरतों से भी बदसलूकी

गांव के कई आदिवासियों (Adiwasi) ने अपने चोटों के निशान और शरीर पर व कपड़ों पर मौजूद खून के धब्बे दिखाए. इस सिलसिले में पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि पूरे मामले की जाँच का आदेश दिया गया है. यह जाँच सीओ स्तर का अधिकारी करेंगे. जाँच के बाद ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी.

उत्तर प्रदेश के झांसी के रक्सा थाना क्षेत्र के  गाँव डोमागोर में आदिवासी मज़दूरों के साथ पुलिस ने बदसलूकी की है. स्थानीय मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार ये आदिवासी यहाँ खेतों में मज़दूरी करने के लिए आए हैं. आदिवासियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि पुलिस ने ना सिर्फ़ उनकी पिटाई की है बल्कि उनकी झोंपड़ी भी तोड़ दी हैं. 

कल यानि मंगलवार 5 अक्टूबर को गांव के पीड़ित आदिवासी परिवारों ने झांसी (Jhansi) के एसएसपी कार्यालय पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है. आदिवासियों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की. 

गांव के कई आदिवासियों (Adiwasi) ने अपने चोटों के निशान और शरीर पर व कपड़ों पर मौजूद खून के धब्बे दिखाए. इस सिलसिले में पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि पूरे मामले की जाँच का आदेश दिया गया है. यह जाँच सीओ स्तर का अधिकारी करेंगे. जाँच के बाद ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी.  

इन आदिवासियों ने अपनी शिकायत में कहा है कि वो अस्थाई झोपड़ी बनाकर रहते हैं. अपने बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वो झांसी ज़िले के ही कटेरा थानाक्षेत्र के ग्राम पडरा के रहने वाले हैं.

उनके अनुसार पिछले लगभग पन्द्रह सालों से फसल कटाई का काम करने के मकसद से रक्सा थानाक्षेत्र के डोमागोर गांव में रहते आये हैं. मजदूरी करने के लिए लगभग 50 लोग परिवार सहित झोपड़ी बनाकर रहते हैं.

सोमवार 4 अक्टूबर की रात करीब 11.30 बजे पर रक्सा थाने की पुलिस जीप से गांव पहुंची. इस जीप में कम से कम सात सिपाही और एक दारोगा मौजूद थे. पुलिस ने आदिवासियों पर  गांव छोड़ने का दवाब बनाया. 

आदिवासियों (Adiwasi) ने लिखित शिकायती में आरोप लगाया है कि जीप सवार सभी पुलिसवाले शराब के नशे में थे. इन आदिवासियों ने कहा है कि पुलिस ने उनकी औरतों के साथ बदसलूकी की है. इसके अलावा उनकी झोंपड़ी और सामान को भी तहस नहस कर दिया. 

 इस घटना में कई आदिवासियों को चोटें आई हैं. उनमें से एक आदिवासी के दोनों हाथ फ्रैक्चर हो गए. आदिवासियों का कहना है कि जब पुलिस पहुँची तो उनमें से ज़्यादातर लोग सो रहे थे.

रात को अचानक पुलिस के पहुँचने के बाद किसी को कुछ समझ में नहीं आया. पुलिस अगर आदिवासियों को ज़मीन से हटाना चाहती थी तो फिर रात का समय ही क्यों चुना गया था? इसके अलावा आदिवासियों के साथ मार-पीट और बदसलूकी क्यों की गई थी? 

गाँव के कई ग़ैर आदिवासी समुदाय के लोगों ने भी पूरे मामले की पुष्टि की है. इन लोगों ने भी यही बताया है कि पुलिस रात को गाँव में पहुँची और आदिवासियों के साथ मारपीट की गई थी. 

इन सवालों पर पुलिस प्रशासन अभी चुप ही है. प्रशासन का कहना है कि फ़िलहाल मामले की जाँच चल रही है. 

(Photo Credit – Jan Jwar)

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