HomeAdivasi Dailyभीषण गर्मी के बीच महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में पानी की कमी

भीषण गर्मी के बीच महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में पानी की कमी

अपने परिवार के लिए नियमित रूप से विभिन्न स्रोतों से पानी लाने वाली एक महिला ने कहा कि उनका गांव सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से काफी दूर है.

देशभर में गर्मी की शुरुआत के साथ ही महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के आदिवासी बहुल धनगांव गांव में पानी का संकट गहरा गया है. स्थानीय लोगों ने सुविधाओं की कमी पर चिंता जताई है.

इलाके की महिलाओं ने बताया कि उन्हें अपने और अपने परिवार के लिए पानी लाने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है.

एक महिला ने बताया कि उसे भीषण गर्मी में 7-8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है. यहां न तो कोई पक्की सड़क है और न ही कोई वाहन.

धनगांव गांव के सरपंच वीर सिंह पवारा ने बताया कि लोगों को नर्मदा नदी से पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने कई बार राज्य प्रशासन से संपर्क किया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

सरपंच ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, “भले ही मैं गांव का मुखिया हूं लेकिन मैंने कई बार प्रशासन से इस बारे में शिकायत की है, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. प्रशासन से हमारी मांग है कि हमें उनकी ओर से शुद्ध पेयजल मिले.”

उन्होंने कहा, “यहां पानी की समस्या है. हमें नहीं पता कि हमें जो पानी मिलता है वह शुद्ध है या अशुद्ध. हमारे गाँव के लोगों को हैंडपंप से पानी मिलता है लेकिन बहुत कम है और इससे हमारा बहुत समय बर्बाद होता है. पानी निकलने के लिए हमें कई घंटे इंतजार करना पड़ता है.”

उन्होंने आगे बताया कि पानी की कमी के कारण, नहाने, बर्तन धोने जैसे कई जरूरी काम और मुश्किल होते जा रहे हैं क्योंकि वे हर बार कम और कम पानी का उपयोग करते हैं.

उन्होंने कहा, “हमें जो पानी मिलता है या हम लाते हैं, वह हमारे जिंदा रहने के लिए पर्याप्त नहीं है. हम कम पानी में खाना बनाते हैं या पीने के लिए पानी रखते हैं, जानवरों के लिए पानी रखते हैं, हमें इसी सीमित पानी से सभी काम करने पड़ते हैं, बर्तन धोने पड़ते हैं और नहाना पड़ता है. हमें कम पानी में ये सारे काम करने पड़ते हैं.”

स्थानीय लोगों में से एक ने कहा कि लोगों को पानी लेने के लिए सुबह 4 बजे उठना पड़ता है. जो लोग पानी लेने के लिए देर से आते हैं, उन्हें पानी नहीं मिल पाता.

स्थानीय निवासी ने एएनआई को बताया, “पानी की जरूरत वाले लोगों को सुबह 4 बजे उठना पड़ता है, उसके बाद किसी को पानी नहीं मिलता. इसके अलावा जो लोग सुबह 4 बजे आते हैं, उन्हें सुबह 6 या 7 बजे पानी मिलता है और उन्हें अपने परिवार के लिए 5 या 6 कंटेनर भरने पड़ते हैं. अगर हमें पंप पर पानी नहीं मिलता है, तो हमें इसे लाने के लिए दूसरी पंचायत में जाना पड़ता है.”

अपने परिवार के लिए नियमित रूप से विभिन्न स्रोतों से पानी लाने वाली एक महिला ने कहा कि उनका गांव सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से काफी दूर है.

उन्होंने कहा, “नंदुरबार जिला सरकार की सभी सुविधाओं और योजनाओं से उपेक्षित है. धड़गांव तहसील, बिलगांव, माल और 200 अन्य छोटे गांवों में आने वाला यह इलाका सरकार की सभी योजनाओं से कोसों दूर है.”

महिला ने कहा, “अप्रैल की इस भीषण गर्मी में हमें पीने का पानी लाने के लिए नर्मदा नदी के पास लगभग 7 से 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ऊपर से यहां जाने के लिए कोई पक्की सड़क या वाहन नहीं है बल्कि बहुत ही संकरी पथरीली सड़कें हैं जो पहाड़ों से होकर नर्मदा नदी के बैकवाटर तक जाती हैं, जहां पैदल चलना भी मुश्किल है.”

एक अन्य स्थानीय शख्स ने बताया कि उन्हें हैंडपंप से पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.

उन्होंने एएनआई से कहा, “हमें पानी न मिलने की समस्या है. हमारे पास एक हैंडपंप है लेकिन हमें उससे ज़्यादा पानी नहीं मिलता. अगर हमें पानी नहीं मिलता है, तो हमें नर्मदा नदी तक जाना पड़ता है, जो 6-7 किलोमीटर दूर है.”

ग्रामीणों ने दावा किया है कि उन्होंने बार-बार अधिकारियों से आग्रह किया है और अपने दूरदराज के गांव के लिए कुछ सुविधाएं मांगी हैं, हालंकि उनकी बात नहीं सुनी गई है.

वहीं नंदुरबार क्षेत्र में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के पूर्वानुमान के मुताबिक अधिकतम तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहने की उम्मीद है.

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