मिजोरम के मुख्यमंत्री लालडुहोमा ने मणिपुर में 18 महीनों से जारी हिंसा पर तीखा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह राज्य, जनता और उनकी पार्टी भाजपा के लिए बोझ बन चुके हैं.
उन्होंने राष्ट्रपति शासन को वर्तमान सरकार से बेहतर विकल्प बताया है.
भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ का विरोध
लालदुहोमा ने एचटी से बातचीत के दौरान भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध किया और मणिपुर में सभी सशस्त्र समूहों को हथियार रहित करने को स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम बताया.
उन्होंने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने को जनजातीय एकता के खिलाफ बताया. उनका कहना है कि बाड़ लगाने से मिज़ोरम और म्यांमार में रहने वाले कुकी-जो समुदाय के बीच हमेशा के लिए दूरी आ जाएगी.
उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की है. यानि उनका मानना है कि हथियारों से लैस उग्रवादी समूहों को निशस्त्र करने से शांति आएगी न कि बॉर्डर पर प्रतिबंध लगाने से.
उन्होंने सभी सशस्त्र संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और पहाड़ी क्षेत्रों के नेताओं से तर्कसंगत और ज्ञानवर्धक बातचीत करने की बात कही.
जनजातीय एकता की अपील
लालडुहोमा ने कुकी-जो समुदायों के एकीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी मंशा भारत के भीतर इन समुदायों को एकजुट करने की है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी एकता की अपील को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था.
बीरेन सिंह पर निशाना
लालडुहोमा ने कहा कि अब एन. बीरेन सिंह को हटाना जरूरी है.
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर मणिपुर में एक जिम्मेदार सरकार बने और उस सरकार का नेतृत्व ऐसा व्यक्ति करे जो जनजातीय समुदायों के योगदान को समझता हो और उन्हें भारत का अभिन्न हिस्सा मानता हो तो यह राज्य के लिए बेहतर होगा.
राष्ट्रपति शासन बेहतर विकल्प
लालडुहोमा ने कहा कि अगर वर्तमान सरकार की तुलना राष्ट्रपति शासन से की जाए तो राष्ट्रपति शासन ज्यादा बेहतर होगा.
उन्होंने ज़ोर दिया कि मणिपुर में स्थायी शांति के लिए एक नया नेतृत्व जरूरी है.
मणिपुर हिंसा और मौजूदा हालात
मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा चल रही है में अब तक 260 लोगों की मौत हो चुकी है. हाल ही में 10 जनजातीय लोगों और 6 मेइती समुदाय के लोगों की हत्या ने हालात और खराब कर दिए हैं.