असम की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने पिछले साल दो आदिवासी लड़कियों से बलात्कार और उनकी हत्या के मामले में शुक्रवार को तीन लोगों को मौत की सजा सुना
इस मामले में तीनों को छह अप्रैल को दोषी ठहराया गया था. मामला पिछले साल का है.
कोकराझार फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्पेशल जस्टिस सी चतुर्वेदी ने तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.
पिछले साल 11 जून को दो आदिवासी बहनों को कोकराझार में एक पेड़ से फांसी पर लटका पाया गया था, जिसके कुछ दिनों बाद यानी 14 जून को आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद इस घटना पर पूरे राज्य में जमकर हंगामा भी हुआ.
जस्टिस चतुर्वेदी ने अपने फैसले में कहा कि उनका मानना है कि यह मामला दुर्लभ में भी दुर्लभ को कैटेगरी में आता है, जो आईपीसी की धारा 120 (बी) (अपराध करने के लिए आपराधिक साजिश करने वाले को मौत की सजा), 302 (जिसके तहत हत्या करने वाले को मौत की सजा और जुर्माना) और धारा 6 (यौन उत्पीड़न की सजा) से जुड़ा है.
अदालत ने इस दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में, तीनों को फांसी लगाकर मौत की सजा सुनाई.
जस्टिस चतुर्वेदी ने हर आरोपी से 5 लाख रुपये का जुर्माना देने को भी कहा.
उन्होंने कहा, “जुर्माने का भुगतान न करने के लिए डिफ़ॉल्ट सजा नहीं सुनाई जा रही, क्योंकि दोषियों को पहले ही मौत की सजा सुनाई जा चुकी है.”
जुर्माने का भुगतान न करने पर सीआरपीसी की धारा 421 (जुर्माना लगाने का वारंट) के तहत वसूली की जाती है, और पैसा पीड़ित परिवार को दिया जाता है.
जस्टिस चतुर्वेदी ने यह भी निर्देश दिया कि अदालत की कार्यवाही को कानून के मुताबिक गुवाहाटी हाई कोर्ट में भी पेश किया जाए.
घटना 11 जून, 2021 को सामने आई थी, जब 14 और 16 साल की दो बहनों का मृत शरीर पेड़ पर लटका पाया गया था.
इसके बाद पुलिस ने 19 से 27 साल की उम्र के बीच के सात लोगों को गिरफ्तार किया था.
इनमें से तीन – मुजम्मिल शेख, नज़ीबुल शेख और फारूख रहमान – ने दोनों बहनों के बलात्कार और हत्या का अपराध कुबूला था. बाकी के चार पर सुबूत मिटाने और पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया.
इसके बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पीड़ित लड़कियों के परिवार से मुलाकात की और एसआईटी के गठन का निर्देश दिया.