HomeAdivasi Dailyमणिपुर में पुलिस बल विभाजित, सीएम कैसे करेंगे काम : किरेन रिजिजू

मणिपुर में पुलिस बल विभाजित, सीएम कैसे करेंगे काम : किरेन रिजिजू

किरेन रिजिजू ने यह भी दावा किया कि मणिपुर पुलिस ने 4 मई को कांगपोकपी जिले में तीन कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में तेजी से कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि वे (आरोपी व्यक्ति) सभी पकड़े गए, गिरफ्तार किए गए और मुकदमा चलाया गया.

मणिपुर (Manipur) में पिछले तीन महीने से भी ज्यादा वक्त से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. 3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों (Kuki and Meitei communities) के बीच भड़की जातीय हिंसा (Ethnic violence) में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं. हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60 हज़ार लोग अपने घरों से भागने के लिए मजबूर हो गए.

राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और भीड़ ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद पुलिस शस्त्रागारों को लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी.

इस सबके बीच केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने रविवार को कहा कि मणिपुर में पुलिस बल “खतरनाक रूप से विभाजित” हैं. और साथ ही उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) इस तरह की असाधारण स्थिति में कैसे काम करेंगे.

दरअसल, कई मीडिया रिपोर्टों ने सुरक्षा बलों और ब्यूरोक्रैसी के भीतर जातीय आधार पर विभाजन की ओर इशारा किया है.

ऐसे में टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू के दौरा जब रिजिजू से पूछा गया कि क्या भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार राज्य में स्थिति को संभालने की स्थिति में है और इसके लिए किसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

इस पर उन्होंने कहा, ”मैं भी यह मानता हूं कि स्थिति असाधारण है. पुलिस बल विभाजित हैं. यहां तक कि जो लोग विभिन्न कार्यालयों में काम कर रहे हैं वे भी बंटे हुए हैं.”

बीजेपी नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री तभी ठीक से काम कर सकते हैं जब सुरक्षा बल एकजुट होकर काम करेंगे. उन्होंने कहा, “पुलिस एक अनिश्चित स्थिति में है क्योंकि एक समुदाय से संबंधित पुलिस बल का एक विशेष वर्ग एक दिशा में आगे बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री कैसे काम करेंगे?”

रिजिजू ने कहा कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति के लिए एक “बड़ी चुनौती” है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि [केंद्रीय] गृह मंत्री तीन दिनों तक मणिपुर में रहे और शांति की अपील की.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई की शाम से 2 जून की सुबह तक राज्य का दौरा किया था. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने मैतेई और कुकी राहत शिविरों का दौरा किया था, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की थी और मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की थी.

अपने इंटरव्यू में रिजिजू ने कहा कि सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों को लोगों से हिंसा छोड़ने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की अपील करनी चाहिए. जब तक समुदाय के प्रतिनिधि इसमें हिस्सा नहीं लेते, यह कहना मुश्किल है कि केंद्र सरकार को इस या उस तरीके से काम करना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मणिपुर में हिंसा की घटनाओं की “जांच की धीमी गति” के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं सही थीं लेकिन जमीन पर स्थिति सामान्य नहीं थी.

रिजिजू ने कहा कि पुलिस सामान्य परिस्थितियों में काम नहीं कर रही है. जमीन पर स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि मणिपुर पुलिस ने 4 मई को कांगपोकपी जिले में तीन कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में तेजी से कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि वे (आरोपी व्यक्ति) सभी पकड़े गए, गिरफ्तार किए गए और मुकदमा चलाया गया.

कांग्रेस ने विधानसभा सत्र न बुलाने पर उठाए सवाल

वहीं कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि मणिपुर की सरकार द्वारा राज्यपाल अनुसुइया उइके से आग्रह किए जाने के बावजूद विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया गया. जो इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो गया है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘स्वयंभू विश्वगुरु की भूमिका’ में और गृह मंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं.

उन्होंने ‘एक्स (पूर्व में ट्विटर)’ पर पोस्ट किया, ‘‘27 जुलाई को मणिपुर की सरकार ने प्रदेश के राज्यपाल से अगस्त के तीसरे सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया था. चार अगस्त को राज्यपाल से एक बार फिर विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया गया है लेकिन इस बार एक निश्चित तिथि यानी 21 अगस्त को सत्र बुलाने के लिए कहा गया. आज 21 अगस्त है और विशेष सत्र नहीं बुलाया गया है. विधानसभा का कोई मानसून सत्र भी नहीं हुआ है.’’

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह इस बात का एक और सबूत है कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है.

मणिपुर में मंत्रिमंडल के राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश करने के बावजूद सोमवार को सदन की बैठक नहीं हुई क्योंकि राज भवन की तरफ से इस संबंध में अभी तक ‘कोई अधिसूचना’ जारी नहीं किए जाने के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

मणिपुर में पिछला विधानसभा सत्र मार्च में आयोजित किया गया था. जबकि राज्य में मई की शुरुआत में जातीय हिंसा भड़की थी.

एक अन्य अधिकारी ने कहा, “पिछला विधानसभा सत्र मार्च में अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था. यह संवैधानिक बाध्यता है कि अगला सत्र दो सितंबर से पहले आयोजित किया जाए.”

अधिकारियों ने बताया कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा के बीच विभिन्न दलों से जुड़े कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने विधानसभा सत्र में शामिल होने में असमर्थता जताई है.

वहीं नगा विधायकों ने भी कहा था कि वे सत्र में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि राज्य सरकार नगा शांति वार्ता में बाधा डाल रही है.

तीन महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और मणिपुर हथियारों से लैस मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय संघर्ष की चपेट में अराजकता झेल रहा है. राज्य इंफाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों के कूकी समुदाय के बीच दो हिस्सों में लगभग बंट गया है.

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