HomeAdivasi Dailyआदिवासी हीरो: रमेश कार्तिक नायक ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार जीता

आदिवासी हीरो: रमेश कार्तिक नायक ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार जीता

आदिवासी लेखक रमेश कार्तिक नायक को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2024 उनके लघु कहानी संग्रह “धवलो” के लिए दिया गया है. इस संग्रह में लंबाडी आदिवासियों की कहानियां लिखी गई है. नायक खुद लंबाडी समुदाय से है.

तेलंगाना (Tribes of Telangana) के निज़ामाबाद ज़िले के रहने वाले 26 वर्षीय आदिवासी लेखक रमेश कार्तिक नायक (Ramesh Karthik Nayak) को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2024 (Sahitya Akademi Yuva Puraskar) मिला है.

जिसके बाद रमेश कार्तिक नायक, तेलंगाना के ऐसे पहले आदिवासी लेखक बन गए है. जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

उनकों यह पुरस्कार उनके लघु कहानी संग्रह “धवलो” के लिए दिया गया है. इस संग्रह में लंबाडी आदिवासियों की कहानियां लिखी गई है.

रमेश कार्तिक नायक खुद लंबाडी समुदाय से है. इस समुदाय को बंजारा नाम से भी जाना जाता है. उनके माता-पिता खेती-बाड़ी का कार्य करते हैं.

उन्होंने अब तक अपने साहित्यिक यात्रा में चार किताबें लिखी है. इननें से तीन तेलुगु में है और एक अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है.

उनकी साहित्यिक रचना धवलो को अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी प्रकाशित किया जा चुका है. इसके अलावा कई भारतीय भाषाओं में भी इसका अनुवाद हुआ है.

रमेश कार्तिक नायक का अंग्रेजी में कविता संग्रह चकमक (फ्लिंटस्टोन) को पिछले साल बेंगलुरू पोएट्री फेस्टिवल के लिए चुना गया था. उनकी अन्य रचनाओं में बाल्डर बंदी, केसुला शामिल हैं.

कैसे बने साहित्यकार

रमेश कार्तिक नायक ने लिखने की शुरूआत 2014 से की थी. उस समय उनके पास पुरानी रचनाएं मौजूद नहीं थे. क्योंकि वे उन्हें खो चुके थे.

रमेश कार्तिक नायक ने अपने दोस्तों और शिक्षकों की मदद से 2018 में बाल्डर बंदी प्रकाशित की थी. यह पुस्तक अब आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा है.

इसके अलावा उनके द्वारा लिखी गई अंग्रेजी कविता चकमक और जारेर बाटी को एसआर और बीजीएनआर सरकारी डिग्री कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

रमेश कार्तिक नायक द्वारा लिखे गई कहानियां और कविताएं देश-विदेश के प्रमुख प्रकाशनों में छापे गए हैं.

उनका साहित्यकार बनने का सपना आसान नही रहा. रमेश कार्तिक नायक के इस सफर में कई आर्थिक चुनौतियां भी आई थी. लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और साहित्य के प्रति अपना प्रेम और समपर्ण बरकार रखा.

रमेश कार्तिक नायक अंग्रेजी में एमए (Masters) की पढ़ाई के साथ- साथ कई जगह अलग-अलग नौकरियां किया करते थे.

उनका अपने समुदाय के प्रति गहरा लगाव था, जो उनके किताब धवलो में भी देखने को मिला है.

नाइक को साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार के अलावा 2021 में तेलंगाना राज्य जनजातीय कल्याण विभाग ने जनजातीय युवा अचीवर पुरस्कार दिया था.

उनको यह पुरस्कार जनजातीय साहित्य तेलुगु में अपना योगदान देने के लिए दिया गया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments