मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के बीच कुकी-ज़ो समुदाय से जुड़े विधायकों, सामाजिक संगठनों (Civil Society Organisations) और सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते में शामिल उग्रवादी गुटों ने शुक्रवार को गुवाहाटी में एक बंद कमरे में अहम बैठक की.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में समुदाय के भविष्य और अलग प्रशासन की मांग को लेकर विचार-विमर्श हुआ.
बैठक में शामिल अधिकांश सदस्य बुधवार और गुरुवार को असम की राजधानी पहुंचे थे. वे एक गुप्त स्थान पर ठहरे हुए हैं और उसी स्थान पर यह बैठक भी आयोजित की गई थी.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में मुख्य रूप से मणिपुर में कुकी-ज़ो समुदाय के लिए संविधान के दायरे में अलग प्रशासन की मांग पर चर्चा हुई.
एक प्रतिभागी ने बताया, “हम केवल इतना चाहते हैं कि हमें भेदभाव और दमन से मुक्त होकर जीने का अधिकार मिले.”
बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि केंद्र सरकार के समक्ष अपनी बात किस प्रकार पेश की जाए, जिससे मांग को राजनीतिक समर्थन मिल सके.
बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि जब तक केंद्र सरकार सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते में शामिल उग्रवादी गुटों के साथ औपचारिक राजनीतिक वार्ता फिर से शुरू नहीं करती तब तक कुकी विधायकों और सामाजिक संगठनों का कोई प्रतिनिधि भारत सरकार से बातचीत नहीं करेगा.
यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) जैसे गुटों ने वर्ष 2008 में केंद्र के साथ SoO समझौता किया था.
वर्तमान में इन गुटों के लगभग 2,266 सदस्य मणिपुर में विभिन्न नामित शिविरों में रह रहे हैं.
इस समझौते के तहत उग्रवादी समूह हिंसक गतिविधियों को बंद करने और सुरक्षा बलों द्वारा निगरानी के लिए नामित शिविरों में आने पर सहमत होते हैं और भारत सरकार बदले में उग्रवादी समूहों के खिलाफ अपने अभियान को निलंबित करती है.
गुवाहटी में हुई इस बैठक से स्पष्ट है कि कुकी-ज़ो समुदाय अब अपने प्रशासनिक अधिकारों के लिए संगठित होकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
3 मई 2023 से शुरू हुए इस जातीय संघर्ष में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं.
हालांकि 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद स्थिति में कुछ सुधार ज़रूर हुआ है लेकिन मणिपुर के लोग स्थायी समाधान चाहते हैं. स्थायी समाधान के लिए संवाद और राजनीतिक इच्छाशक्ति बहुत ज़रूरी है.