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वायनाड लैंडस्लाइड: जान जोखिम में डालकर वन अधिकारियों ने 4 आदिवासी बच्चों को दी जिंदगी

केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात भारी बारिश के बाद हुई लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या 300 से अधिक है और अभी भी बहुत लोग लापता हैं.

केरल के वायनाड में आए भूस्खलन में अभी तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं. हालांकि, इस विनाशकारी आपदा को बीच एक अच्छी खबर भी सामने आई है…

भूस्खलन प्रभावित वायनाड में वन अधिकारियों ने 8 घंटे के साहसिक रेस्क्यू अभियान के बाद 4 आदिवासी बच्चों और उनके माता-पिता को बचाया है.

दरअसल, कलपेट्टा और मुंडक्कई के चार वन अधिकारी गुरुवार को जीवित बचे लोगों की तलाश में करीब 7 किलोमीटर तक पहाड़ी पर चढ़े थे, जब उन्होंने छह लोगों के परिवार को एक आदिवासी बस्ती चेनकुथैया में एक चट्टान की गुफा में मदद का इंतजार करते हुए पाया.

जिस परिवार के बच्चों को फॉरेस्ट अफसरों ने बचाया है, वे वायनाड के पनिया समुदाय के हैं. एक गहरी खाई को देखते हुए ये बच्चे पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में फंसे थे. टीम को इस बच्चों तक ट्रैक कर पहुंचने में साढ़े चार घंटे का समय लगा.

रेस्क्यू टीम को संयोग से परिवार का पता तब चला जब उन्होंने जंगल के अंदर माँ और एक बच्चे को देखा. पूछताछ के बाद टीम को तीन अन्य बच्चों और उनके पिता के बारे में पता चला जो बिना खाने के एक गुफा में फंसे हुए थे. जिसके बाद उन्होंने इन 6 लोगों को रेस्क्यू किया.

बचाए गए बच्चों में आदिवासी समुदाय के एक से चार साल की उम्र के चार बच्चे शामिल हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कलपेट्टा रेंज के वन अधिकारी के. हशीस ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को मां और चार साल के बच्चे को वन क्षेत्र के पास भटकते हुए देखा और पूछताछ करने पर पता चला कि उसके तीन अन्य बच्चे और उनके पिता बिना भोजन के एक गुफा में फंसे हुए हैं.

हशीस ने आगे कहा कि परिवार आदिवासी समुदाय के एक विशेष वर्ग से ताल्लुक रखता है, जो आम तौर पर बाहरी लोगों से बातचीत करने से बचता है.

उन्होंने कहा, “वे आम तौर पर वन उत्पादों पर आश्रित रहते हैं और उन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर चावल खरीदते हैं. हालांकि, ऐसा लगता है कि भूस्खलन और भारी बारिश के कारण वे कुछ खाना-पीना प्राप्त करने में असमर्थ थे.”

वन रेंज अधिकारी ने अपनी खतरनाक यात्रा के बारे में बताया, जिसमें उन्हें भारी बारिश के बीच फिसलन भरी और खड़ी चट्टानों से होकर गुजरना पड़ा.

हशीस ने कहा, “बच्चे थके हुए थे और हम अपने साथ खाने-पीने का जो भी सामान ले गए थे उन्हें खिलाया. बाद में बहुत समझाने के बाद उनके पिता हमारे साथ आने के लिए राजी हो गए, और हमने बच्चों को अपने शरीर से बांध लिया और वापस अपनी यात्रा शुरू कर दी.”

अधिकारियों को फिसलन भरी चट्टानों पर चढ़ने के लिए पेड़ों और चट्टानों से रस्सियां बांधनी पड़ीं.

वे अट्टामाला के अपने स्थानीय दफ्तर में वापस आ गए, जहां बच्चों को खाना खिलाया गया और कपड़े और जूते दिए गए. उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्हें वहां रखा गया है औरबच्चे अब सुरक्षित हैं.

इस रेस्क्यू अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा, “भूस्खलन प्रभावित वायनाड में हमारे साहसी वन अधिकारियों द्वारा 8 घंटे के अथक अभियान के बाद एक सुदूर आदिवासी बस्ती से छह कीमती जानें बचाई गईं. वन अधिकारियों का ये जज्बा हमें याद दिलाता है कि संकट की घड़ी में भी केरल की जीवटता चमकती रहती है. हम उम्मीद के साथ एकजुट होकर पुनर्निर्माण करेंगे और मजबूत होकर उभरेंगे.”

हशीश के साथ, खंड वन अधिकारी, बी एस जयचंद्रन, बीट वन अधिकारी, के अनिल कुमार और आरआरटी ​​(रैपिड रिस्पांस टीम) के सदस्य अनूप थॉमस ने परिवार को बचाने के लिए सात किलोमीटर से अधिक लंबी यात्रा की.

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