भारत आदिवासी पार्टी से सांसद चुने गए राजकुमार रोत आज यानि 8 जून को दिल्ली आ रहे हैं. आज ही शाम 7 बजे उनकी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात तय है. भारत आदिवासी पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर जितेंद्र मीणा ने यह जानकारी दी है.
राजकुमार रोत के बारे में इस तरह की ख़बरें प्रकाशित हुई थीं कि वे बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं. लेकिन राजकुमार रोत और भारत आदिवासी पार्टी ने इन ख़बरों का खंडन किया है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस समर्थित भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर 2,47,054 वोटों से जीत हासिल की. उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय से था. महेंद्रजीत सिंह मालवीय इसी साल फरवरी में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.
राजकुमार रोत को 8,20,831 वोट मिले जबकि मालवीय को 5,73,777 वोट हासिल हुए. इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंद सीता दामोर के साथ भी रोत का मुकाबला था.
400 पार का नारा नहीं हुआ सफल
बीजेपी ने बेशक लोकसभा चुनाव 2024 में 400 पार का नारा दिया था. लेकिन वह अपने दम पर साधारण बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई है.
अब बीजेपी की सरकार टीडीपी, नितीश कुमार की जेडीयू और कुछ अन्य छोटे दलों के भरोसे है. ज़ाहिर है कि इस स्थिति में बीजेपी की यह कोशिश होगी कि वह स्वतंत्र और छोटे दलों के सांसदों को अपने दल या गठबंधन में शामिल करने का प्रयास करे.
बाप एनडीए नहीं इंडिया का हिस्सा बन सकती है
राज कुमार रोत ने खुद इन ख़बरों का खंडन किया कि वे बीजेपी के सहयोगी बन सकते हैं. वैसे तो कहते हैं कि राजनीति संभवानाओं का खेल रहता है.
पिछले 10 साल में ना जाने कितने सांसदों और विधायकों ने अपनी पार्टियों को छोड़ कर या तोड़ कर बीजेपी का दामन थामा है.
लेकिन भारत आदिवासी पार्टी ने पिछले साल सितंबर महीने में अपनी स्थापना के समय यह कहा था कि वह धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर है.
इसके अलावा अगर राजकुमार रोत की पृष्ठभूमि देखें तो वे भी कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई (NSUI) के बांसवाड़ा ज़िला अध्यक्ष रहे हैं.
इस लिहाज़ से वे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के ज़्यादा नज़दीक हैं. इसके अलावा इस चुनाव में यह भी साबित हुआ है कि अब लोग राम मंदिर या धारा 370 जैसे भावनात्मक मुद्दों की बचाए रोज़गार, महंगाई और आरक्षण जैसे ठोस मुद्दों पर ज़्यादा भरोसा कर रहे हैं.