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हेमंत सोरेन के पक्ष में विधायक, 44 वोटों से विश्वास मत हुआ पास.

झारखंड विधानसभा का कार्यकाल समाप्ति की ओर है और राज्य में जल्द ही चुनावों की तारीख भी घोषित कर दी जाएगी. ऐसे में इस कार्यकाल के दौरान एक बार फिर ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हुई हैं कि सरकार को विश्वास मत साबित करना पड़ा है. ज़रुरत से 6 वोट ज्यादा पाकर हेमंत सोरेन ने बहुमत साबित कर दिया है. चंपई सोरेन भी सरकार के पक्ष में बोले लेकिन उनकी बातों से वे इस फैसले से खुश नज़र नहीं आए.

गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेने को आज यानि 8 जुलाई (सोमवार) को राज्य की विधानसभा में विश्वास मत साबित करना था. इसके लिए विधानसभा में फ्लोर टेस्ट संपन्न हो चका है.

हेमंत सोरेन ने बहुमत साबित कर दिया है. हेमंत सोरेन ने झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को 44 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा दिया था. विधानसभा में अभी 5 सीटें रिक्त हैं और यदि 77 में से 39 विधायक भी उनके पक्ष में वोट करते तो विश्वास मत पास हो जाता. ज़रुरत से 6 वोट ज्यादा पाकर हेमंत सोरेन ने बहुमत साबित कर दिया है.

2019 के चुनाव के बाद झारखंड सरकार इससे पहले 2 बार विश्वास मत सिद्ध कर चुकी है. झारखंड विधानसभा का कार्यकाल समाप्ति की ओर है और राज्य में जल्द ही चुनावों की तारीख भी घोषित कर दी जाएगी. ऐसे में इस कार्यकाल के दौरान तीसरी बार ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हुई हैं कि सरकार को विश्वास मत साबित करना पड़ रहा है.

विश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान सिल्ली विधानसभा से एजेएसयू पार्टी के विधायक सुदेश कुमार महतो ने राज्य की परिस्थितियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इन परिस्थितियों के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. सरकार ये परिस्थितियां खुद लेकर आई है.

उन्होंने एक अहम बात कही कि अब तो फिर से जनता का विश्वास हासिल करने का समय आ चुका है, लेकिन गठबंधन के 400 प्रस्तावों या संकल्पों में से एक भी पूर्ण रूप से पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है. जिन रोज़गार की नीतियों के वादे के साथ ये सरकार आई थी, वह लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

विधायक सुदेश कुमार महतो ने इन संकल्पों को सरकार पर बोझ बताया. उन्होंने यह टिपण्णी कर दी कि झारखंड सरकार जनतंत्र से राजतंत्र में वापस जा रही है क्योंकि चंपई सोरेन से मिलना लोगों के लिए सहज था, इसलिए उनके कार्यकाल का 5 महीने का समय जनतंत्र था.

उन्होंने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कोई ख्वाहिश इस राजतंत्र में रह गई हो तो वे इसे पूरा कर लें क्योंकि जल्द ही जनता के हाथ में शक्ति होगी और वह अपना नेता चुनेगी.

सुदेश कुमार पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि ये स्थिति सरकार के कारण नहीं भारतीय जनता पार्टी के कारण आई हैं क्योंकि विपक्ष ने हमेशा से सरकार को अस्थिर बनाने की कोशिश की है.

विपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी ने सत्र के दौरान सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा. उनका कहना है कि सोरेन सरकार भ्रष्टाचारी सरकार है. इनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ. बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं. अमर कुमार बाउरी ने दावा किया कि ये सरकार दोबारा नहीं आएगी.

हेमंत सोरेन ने भी विपक्ष को घेरा

सदन में हेमंत सोरेन के संबोधन की शुरुआत में विपक्ष ने नारेबाज़ी करनी शुरू कर दी. जिस पर हेमंत सोरेन ने कहा कि ये अपने आचरण के अनुरूप आ गए हैं. अपने संबोधन में हेमंत सोरेन ने विपक्ष पर षड्यंत्र रच कर उनको जेल भेजने का आरोप लगाया. हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष के पास कोई राजनीतिक सोच नहीं है. विपक्ष के पास कोई एजेंडा नहीं है. उन्होंने विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने की बात कही.

सीएम ने यह भी कहा कि ऑपरेशन लोटस का सहारा लेकर ये सरकार गिराने का षड्यंत्र करते हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी का चेहरा सामने आ गया है.

पार्टी के निर्णय पर साथ होकर भी मन से साथ नहीं चंपई सोरेन

चंपई सोरेन ने विधानसभा में कहा कि यह विडंबना है कि एक जनादेश के लिए तीसरी बार विश्वास मत पेश हुआ है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार किसी न किसी परिस्थिति के चलते अस्थिर ही रही है.

उन्होंने कहा कि झारखंड कोई गरीब प्रदेश नहीं है बल्कि यह खनिजों से संपन्न राज्य है. लेकिन यहां के मूलवासियों यानि आदिवासियों और दलितों के विकास के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ने प्रयास किए हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है, उन्हें आगे नहीं बढ़ा पाए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि अब सबको मिलकर राज्य का विकास करना चाहिए. चंपई सोरेन ने यह भी कहा कि विपक्ष ने राज्य में सबसे ज्यादा शासन किया, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ. मुझे भी बहुत कम समय के लिए राज्य का जिम्मा मिला लेकिन लोकतंत्र में पार्टी और गठबंधन के निर्णय के साथ चलना पड़ता है.

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