ढिमसा नृत्य (Dhimsa Dance) पूर्वी आंध्र प्रदेश (Tribes of Andhra pradesh) के आदिवासियों के प्रमुख नृत्यों में से एक है. आंध्र प्रदेश के अलावा ओडिशा और मध्य प्रदेश के आदिवासी अपने त्योहारों और परंपराओं में ढिमसा नृत्य (Tribal dance) करते हैं.
इस नृत्य को प्रमुख रूप से बागाटा, कोटिया और खोंड आदिवासी द्वारा किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है की इस नृत्य की उत्पत्ति ओडिशा के कोरापुट क्षेत्र से हुई है.
ढिमसा नृत्य त्योहारों, शादियों के दौरान और अप्रैल में शिकार उत्सव के समय किया जाता है. त्योहारों के समय पुरूष और महिलाएं घंटों तक यह नृत्य करते हैं.
त्योहारों के दौरान आदिवासी कलाकार एक गाँव से दूसरे गाँव जाकर इस नृत्य को प्रदर्शित करते हैं. इस प्रक्रिया को आदिवासी भाषा में संकिडी केलबार का नाम दिया गया है. ऐसा करने से विभिन्न गाँव के बीच दोस्ती को भी बढ़ावा मिलता है.
कैसे किया जाता है ढिमसा नृत्य
यह नृत्य सरल है. इस नृत्य में अलग-अलग आदिवासी समुदाय अलग-अलग वाद्य यंत्रों का उपयोग करते हैं.
इन वाद्य यंत्रों में किरिडी, मोरी, दप्पू, टुडुमु और जोदुकोम्मुलु शामिल हैं. इसके अलावा आदिवासियों का खास पहनावा इस नृत्य को और भी आकर्षक बना देता है.
इस नृत्य के दौरान आदिवासी लाल, पीले और हरे रंग के कपड़े पहनते हैं. इस नृत्य में चेहरे के भाव से ज्यादा बॉडी मूव्स (Body moves) पर ध्यान दिया जाता है.
ढिमसा नृत्य ग्रुप में किया जाता है. इस नृत्य को करते वक्त सभी के डांस मूव्स एक जैसे होने चाहिए.
ढिमसा नृत्य को मुख्य रूप से आदिवासी महिलाएं ही करती हैं. कभी-कभी पुरूष भी इस नृत्य में अपनी भागेदारी देते हैं.
इसके अलावा नृत्य की अवधि कुल 10 मिनट की होती है.
ढिमसा नृत्य के प्रकार
ढिमसा नृत्य को आठ भागों में बांटा गया है. बोड़ा ढिमसा गाँव की देवी को सम्मान देने के लिए किया जाता है और यह एक पूजा नृत्य है.
गुंडेरी ढिमसा, जिसे उस्कु ढिमसा भी कहते हैं. यह ढिमसा नृत्य का एक रूप है, जिसमें आदिवासी पुरूष महिला को अपने साथ नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता है.
गोडडी बेटा ढिमसा भी इसी नृत्य का एक रूप है, जिसमें पुरूष और महिलाएं दोनों नर्तकों द्वारा झूले पैटर्न को प्रस्तुत किया जाता है.
ढिमसा नृत्य के दौरान इसके पत्तो को उठाना पोटार टोला ढिमसा को दर्शाता है. बाघ ढिमसा में नृत्य के ज़रिए यह दिखाया जाता है कि कैसे बाघ से बचने की कोशिश की जा रही है.
नाटिकरी ढिमसा दिवाली त्योहार के दौरान हिंदू धर्म में रामायण के लेखक वाल्मिकी को प्रदर्शित करता है. आदिवासी समाज के जादूगर द्वारा किया गए नृत्य को बया ढिमसा कहते हैं. आदिवासियों के अलावा ढिमसा नृत्य आंध प्रदेश के किसानों द्वार भी किया जाता है.
ढिमसा पोरजा जाति का विशेष नृत्य माना जाता है. इस नृत्य को विवाह के दौरान किया जाता है. ढिमसा नृत्य के ज़रिए शांतिपूर्ण और सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना की जाती है.