HomeMain Bhi Bharatझारखंड: पेसा 1996 के मामले पर कार्यकर्ताओं ने मंत्रियों की क्लास लगाई

झारखंड: पेसा 1996 के मामले पर कार्यकर्ताओं ने मंत्रियों की क्लास लगाई

झारखंड के चार मंत्रियों ने लगभग 5 घंटे तक अपनी सरकार की तीखी आलोचना बर्दाश्त की. पेसा 1996 की नियमावली पर बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार पर आदिवासी अधिकारों से जुड़े क़ानून को कमज़ोर करने के गंभीर आरोप लगाए.

झारखंड सरकार ने पेसा 1996 लागू करने के लिए तैयार की गई नियमावली पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासी संगठनों के सुझाव लिए हैं.

15 मई को रांची में आयोजित एक कार्यशाला में राज्य सरकार के चार मंत्री मौजूद रहे. इन मंत्रियों में पंचायत राज मंत्री दीपिका पांडे, कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन शामिल थे.

इस कार्यशाला में मौजूद मंत्रियों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासी संगठनों को यह आश्वासन दिया कि राज्य में पेसा क़ानून 1996 मूल भावना के साथ ही लागू किया जाएगा.

इस बैठक में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पेसा क़ानून के बारे में जो भ्रम पैदा हुए हैं या किए गए हैं उन्हें दूर करना होगा.

अपने भाषण में उन्होंने भूरिया कमेटी का ज़िक्र करते हुए कहा कि पेसा 1996 ना सिर्फ़ आदिवासी अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करेगा बल्कि सदानों यानि अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले ग़ैर आदिवासियों के हितों की रक्षा भी करेगा.

इस कार्यशाला में आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पेसा 1996 की नियमावली में कई त्रुटियां गिनवाई हैं. इस दौरान कई आदिवासी कार्यकर्ताओं ने सरकार की नीति की जम कर आलोचना की थी.

इन कार्यकर्ताओं में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के विक्टर मालतो के अलावा जानेमाने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग और दयामणि बारला भी शामिल थे.

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