पालघर में वाकी एक बड़ा गाँव हैं. इस गाँव तक पहुँचने के लिए पहले आपको डहाणू तहसील पहुँचना पड़ता है. फिर यहाँ से वाकी गाँव जाने के लिए पतली सड़क है. इस सड़के के दोनों तरफ़ चीकू के बाग़ान नज़र आते हैं.
अप्रैल के महीने में जब यह पूरा इलाक़ा सूखे की चपेट में होता है तो लगता है कि जंगल में पेड़ नहीं बल्कि पेड़ों के पिंजर हैं. लेकिन सड़क के दोनों तरफ़ से बाग़ानों में चीकू के पेड़ हरे भरे होते हैं. इस महीने में ये बाग़ान फल से लदे होते हैं.
इन्हीं बाग़ानों से होते हुए हम वाकी गाँव पहुँचे. यह गाँव कई पाड़ों में बंटा है. हम लोगों को झारली पाड़ा के एक परिवार से मिलना था. इस परिवार की बिंदु और संगीत के साथ हमें खाना खाने का न्योता मिला था.
बिंदु और संगीता ने मिलकर हमारे लिए खाना बनाया था. खाने में सबसे पहले बनी थी पॉम्फ्रेट फ्राय. बिंदु ने हमें बताया था कि इस मौसम में यहाँ पर समुद्री मछली ही मिलती है. क्योंकि नदी नालों में पानी ना के बराबर रह जाता है.
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