महाराष्ट्र के नासिक जिले में बच्चों के लिए एक निजी आश्रय गृह के निदेशक को 14 साल की एक लड़की से बलात्कार करने के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने रविवार को कहा कि आश्रय गृह के निदेशक को अब संस्थान की पांच अन्य लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
म्हसरुल में आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए एक निजी आश्रय गृह चलाने वाले हर्षल मोरे को आश्रय गृह की 14 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोप में सप्ताह के शुरू में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता का एक रिश्तेदार आश्रय गृह में उससे मिलने गया और उसने कथित मारपीट की जानकारी दी.
हालांकि, पुलिस के मुताबिक घटना इस साल 18 अक्टूबर को हुई थी. लेकिन रिश्तेदार ने 23 नवंबर को पुलिस से संपर्क किया. जिसके बाद मोरे पर भारतीय दंड संहिता, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत बलात्कार और अन्य अपराध का मामला दर्ज किया गया.
पुलिस ने कहा कि जांच के तहत पुलिस ने संस्थान में रह रहे अन्य नाबालिगों से बातचीत की और उनमें से पांच ने कहा कि 32 वर्षीय मोरे ने उनका भी यौन उत्पीड़न किया था.
ज़ोन 1 के पुलिस उपायुक्त किरणकुमार चव्हाण ने कहा, “कई बलात्कार पीड़िताओं ने अपना अनुभव बताया, जिसके बाद हमने आईपीसी की विभिन्न धाराओं 376 और पॉक्सो के तहत पांच अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कीं. एफआईआर म्हसरुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी.”
हर्षल मोरे को 30 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है, जिसने 2018 में आश्रय गृह की स्थापना की थी. अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में इसमें 13 लड़कियां और 14 लड़के रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. मामले से परिचित अधिकारियों ने कहा कि पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या मोरे के पास आश्रय गृह चलाने के लिए आवश्यक अनुमति थी.
ये मामला सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र महिला मोर्चा की प्रमुख चित्रा वाघ ने राज्य भर के सभी आश्रय गृहों का ऑडिट कराने की मांग की है. उन्होंने कहा, “पुलिस ने छह प्राथमिकी दर्ज की हैं और नासिक मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है. इससे पहले भी त्र्यंबकेश्वर फैसिलिटी में चार साल के मासूम की हत्या हुई थी. इन मामलों को ध्यान में रखते हुए पूरे महाराष्ट्र में सभी आश्रय गृहों के ऑडिट की आवश्यकता है.”