पारंपरिक आदिवासी होहो (निकायों) ने नागालैंड (Nagaland) में नागरिक चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी है. राज्य के बारह शीर्ष आदिवासी होहो का कहना है कि जब तक कि सरकार गारंटी नहीं देती कि 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 371ए के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करेगा तब तक वो शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies) के चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
अनुच्छेद 371ए कहता है कि नागा प्रथागत कानूनों और प्रक्रियाओं, स्वामित्व और भूमि और इसके संसाधनों के हस्तांतरण के संबंध में संसद का कोई अधिनियम नागालैंड पर लागू नहीं होगा.
सभी नागा जनजातियों के पारंपरिक संगठनों ने 27 मार्च को राज्य की राजधानी कोहिमा में एक परामर्श बैठक आयोजित की, जिसमें 16 मई को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले पर चर्चा की गई.
संगठनों ने 2001 के नागालैंड म्युनिसिपल एक्ट की समीक्षा और पुनर्लेखन की मांग के साथ सात-सूत्रीय प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का मार्ग प्रशस्त करने के अलावा संपत्ति हासिल करने और कर लगाने की शक्ति हर नगरपालिका में निहित थी.
2001 के नागालैंड म्यूनिसिपल एक्ट को “उधार” कानून के रूप में वर्णित करते हुए, होहोस ने कहा कि अनुच्छेद 371ए के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले इस अधिनियम के किसी भी हिस्से या धारा को “नागा लोगों की आवाज के साथ पूर्ण रूप से” समाप्त किया जाना चाहिए.
होहोस ने कहा कि महिलाओं के लिए यूएलबी चेयरपर्सन के कार्यालय का आरक्षण सही उम्मीदवार से वंचित करेगा और इस प्रकार यह अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित व्यक्ति, पुरुष या महिला, अध्यक्ष होना चाहिए.”
होहोस ने सरकार से नागालैंड के लोगों को गारंटी देने के लिए कहा कि महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण अनुच्छेद 371ए के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करेगा. उन्होंने समय पर उनकी मांगों को पूरा करने पर यूएलबी चुनावों के संचालन में सहयोग का आश्वासन दिया.
होहोस ने कहा कि अगर सरकार मांगों को पूरा किए बिना यूएलबी चुनाव कराती है तो चुनावों का बहिष्कार करेंगे. होहोस ने धमकी देते हुए कहा कि उनके प्रस्तावों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले नगालैंड की चरमपंथी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल के इसाक-मुइवा (Isak-Muivah) गुट ने नागालैंड में यूएलबी चुनाव कराने की तारीख 16 मई पर आपत्ति जताई थी.
संगठन ने बताया कि 16 मई 1951 का वह दिन है जब नगा जनमत संग्रह “नागाओं की संप्रभु इच्छा और आकांक्षा की पुष्टि करने के लिए” आयोजित किया गया था. जैसा कि 14 अगस्त, 1947 को “एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में रहने के लिए” घोषित किया गया था.
दरअसल, नागालैंड में करीब दो दशकों बाद 16 मई को 39 शहरी स्थानीय निकाय सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं. राज्य में निकाय चुनाव लंबे समय से लंबित हैं क्योंकि पिछला चुनाव 2004 में हुआ था. तब से पहले “अनसुलझे” नगा शांति वार्ता और फिर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लेकर ये चुनाव नहीं कराए गए.
वहीं 2017 में मतदान के दिन की पूर्व संध्या पर झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे, जिसके बाद सरकार ने चुनाव कराने के फैसले पर रोक लगा दी थी.