HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: आदिवासी बच्ची को चोरी के शक में दागा

आंध्र प्रदेश: आदिवासी बच्ची को चोरी के शक में दागा

हमारा संविधान कहता है कि इल्ज़ाम साबित न होने तक हर कोई बेकसूर होता है. लेकिन समाज अपने शक के आधार पर जिस तरह की क्रूर घटनाओं को अंजाम देता है, उससे इंसानियत को भी शर्मसार होना पड़ता है....

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहाँ एक 10 वर्षीय आदिवासी बच्ची को मोबाइल चोरी के शक में गर्म लोहे से चोट पहुंचाई गई.

यह मामला नेल्लोर ज़िले के इंदुकुरुपेटा मंडल के कुट्टीपालेम काकर्लडिब्बा इलाके का है.

बच्ची के शरीर पर गंभीर जलने के निशान हैं और फिलहाल वह अस्पताल में भर्ती है.

पुलिस ने इस मामले में पाँच लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करते हुए, गिरफ़्तारी की है.

अभिभावकों के बाहर होने पर मौसी ने ली थी ज़िम्मेदारी

जानकारी के अनुसार, पीड़ित बच्ची के माता-पिता रोज़ी-रोटी के लिए दूसरे ज़िले में मज़दूरी करने गए थे और उन्होंने अपनी बेटी को उसकी मौसी मणिकला मन्नारी के पास छोड़ दिया था.

दो महीने पहले किसी विवाद के चलते मणिकला ने बच्ची को घर से निकाल दिया था.

इसके बाद बच्ची सामने रहने वाले पड़ोसियों श्रीनिवासुलु और चारुमुदम्मा के पास रह रही थी.

मौसी ने लगाया चोरी का आरोप

एक दिन पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति का मोबाइल फ़ोन गुम हो गया.

संदेह के आधार पर मणिकला ने अपनी भांजी पर चोरी का आरोप लगाया. बताया जा रहा है कि यह आरोप एक स्थानीय तांत्रिक की सलाह पर लगाया गया.

इसके बाद मणिकाला ने पड़ोसी नागराजू और सुब्बम्मा के साथ मिलकर बच्ची को बुरी तरह पीटा और ज़बरदस्ती चोरी कबूल करवाने के लिए उसे गर्म लोहे की करछी से उसे कई ज़ख्म दिए.

बच्ची की हालत देखकर ग्रामीणों ने दी जानकारी

जब ग्रामीणों ने बच्ची को जलने के ज़ख्म और इसे रोते हुए देखा तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी.

पहले उसे स्थानीय सरकारी अस्पताल ले जाया गया और फ़िर बेहतर इलाज के लिए नेल्लोर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के अनुसार बच्ची की हालत अब स्थिर है.

पुलिस ने दर्ज किया मामला

पुलिस ने मणिकला, नागराजू, सुब्बम्मा, श्रीनिवासुलु और चारुमुदम्मा के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता की धारा 120 (1) (ज़बरदस्ती अपराध कबूल करवाने के इरादे से गंभीर चोट पहुँचाना), 109 (हत्या का प्रयास) और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया है.

अभी तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है जबकि मणिकला को बच्ची की देखभाल के लिए तब तक बाहर रखा गया है जब तक पीड़िता के माता-पिता वापस नहीं आ जाते.  

कड़ी कार्रवाई की मांग

घटना के बाद पूरे क्षेत्र में नाराज़गी है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सैलजा रायापाटी ने बच्ची से मुलाकात की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि समाज को मिलकर अंधविश्वास और बच्चों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी.

राजनीतिक स्तर पर भी इस घटना पर प्रतिक्रिया आई है. विधायक वेमिरेड्डी प्रशांति रेड्डी ने घटना को गंभीरता से लिया है और अधिकारियों से इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है.

बच्ची को मिलेगा संरक्षण

अगर बच्ची के माता-पिता का जल्द पता नहीं चलता है तो प्रशासन द्वारा उसे सरकारी देखरेख में भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि बच्ची की सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

यह मामला ना सिर्फ़ बच्चों के प्रति हो रहे अत्याचार उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आज भी कई जगहों पर अंधविश्वास के नाम पर बर्बरता हो रही है. इसलिए अंधविश्वास के खिलाफ़ जागरुकता फैलाने की सख्त ज़रूरत है.

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