HomeAdivasi Daily40 आदिवासी बस्तियों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव अधर में

40 आदिवासी बस्तियों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव अधर में

दरअसल 2019 में सरकार ने गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थित 554 आदिवासी बस्तियों को श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, पूर्व और पश्चिम गोदावरी के पांच जिलों में अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव दिया था.

4 नवंबर को आंध्र प्रदेश के कोंडा रेड्डी जनजाति के युवक बूसानी बलाराजू को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 40 आदिवासी बस्तियों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के प्रस्ताव पर अगले दिन आयोजित होने वाली ग्राम सभा को रद्द कर दिया गया. बलाराजू की तरह हजारों आदिवासी लोगों के अधिकारियों से नाराज होने का एक कारण था जिन्होंने अगस्त से चार बार ग्राम सभा को स्थगित कर दिया.

इस बीच एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA) रामपचोदवरम परियोजना अधिकारी सीवी प्रवीण अधित्या ने 5 नवंबर को एक नई अधिसूचना जारी कर 19 नवंबर को ग्राम सभा आयोजित करने का आह्वान किया था.

दरअसल 2019 में सरकार ने गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थित 554 आदिवासी बस्तियों को श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, पूर्व और पश्चिम गोदावरी के पांच जिलों में अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव दिया था.

अकेले पूर्वी गोदावरी जिले में शंकरवरम, प्रथिपाडु और रोवथुलापुडी मंडलों में 10 ग्राम पंचायतों में फैली 56 बस्तियों को अनुसूचित क्षेत्र का दर्जा देने का प्रस्ताव है जो उन्हें आईटीडीए के दायरे में लाता है. 10 ग्राम पंचायतों में चार जनजातियों से संबंधित लगभग 25,000 की आबादी है – कोंडा रेड्डी (पीवीटीजी), कोंडा कम्मारा, मन्ने डोरा और कोंडा डोरा.

1970 के दशक के उत्तरार्ध से क्षेत्र को ‘अनुसूचित क्षेत्र’ घोषित करने की मांग की जा रही है. जब तक ग्राम पंचायतों को ऐसा घोषित नहीं किया जाता है तब तक आदिवासी लोग आईटीडीए से किसी भी लाभ का दावा करने के हकदार नहीं हैं.

पूर्वी गोदावरी जिला पंचायत अधिकारी एसवी नागेश्वर नाइक ने कहा, “आईटीडीए ने हमें नोटिस जारी करने के चार दिनों के भीतर 40 बस्तियों के लिए ग्राम सभा आयोजित करने का निर्देश दिया है. हम इसे 5 नवंबर को आयोजित नहीं कर सके क्योंकि कोई भी हितधारक इतने कम समय में इसकी तैयारी नहीं कर सकता था.”

दरअसल 1 नवंबर के पत्र के मुताबिक प्रवीण अधित्या ने डीपीओ और राजस्व अधिकारियों को चार दिनों (5 नवंबर) के भीतर 40 आदिवासी बस्तियों के लिए ग्राम सभा आयोजित करने का निर्देश दिया था.

आरोप है कि आईटीडीए और जिला अधिकारियों के बीच असहयोग के चलते ग्राम सभा के संचालन में बहुत देरी हो रही है. नतीजतन प्रस्ताव पर आज तक कोई स्पष्टता नहीं है. कहा जा रहा है कि इस प्रस्ताव पर 9 नवंबर को विजयवाड़ा में आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा बुलाई जाने वाली प्रमुख राज्य स्तरीय बैठक में चर्चा की जाएगी.

श्री बलाराजू ने कहा, “पिछले हफ्ते वेलंगी पंचायत में एक ग्राम सभा आयोजित की गई थी. इसे लेटराइट खनन के लिए पहाड़ी नागुलकोंडा को पट्टे पर देना था. दशकों से किसी ने हमारी परवाह नहीं की लेकिन जब पहाड़ी को पट्टे पर देने की बात आई तो अधिकारियों ने अपना कर्तव्य निभाया.”

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