HomeAdivasi Dailyआदिवासियों की मज़दूरी में हेराफ़ेरी के खिलाफ़ प्रदर्शन

आदिवासियों की मज़दूरी में हेराफ़ेरी के खिलाफ़ प्रदर्शन

इन सभी आदिवासियों को नरेगा के तहत मज़दूरी मिली है और इनके पास आरओएफ (Recognition of Forest Rights) सर्टिफिकेट है. लेकिन इन सब के बावजूद भी इन्हें पूरे काम के पैसे नहीं दिए जा रहे हैं.

आंध्र प्रदेश (Tribes of Andhra Pradesh) के  टी. अर्जापुरम (T Arjapuram) में शुक्रवार को आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया है.

इन आदिवासियों की यह शिकायत है की उन्होंने हफ्ते में 6 दिन काम किया है. उसके बावजूद भी उन्हें सिर्फ 4 दिन के पैसे ही मिले है.

राज्य के टी. अर्जापुरम और कोटनाबिल्ली पंचायत में लगभग 5 आदिवासी गाँव हैं. इन गाँव में रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि इन्हें 6 दिन की जगह सिर्फ 4 दिन किए गए काम के पैसे मिले हैं.

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार अनकापल्ली ज़िले के अंतर्गत आने वाले 41 गाँव में पीवीटीजी (PVTG) समुदाय के 680 आदिवासियों को नरेगा (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत रोज़गार दिया गया था.

2011 में इन 680 पीवीटीजी समुदायों में से 180 आदिवासियों को आरओएफ (Recognition of Forest Rights) सर्टिफिकेट दिया गया था. बाकि के बचे 500 आदिवासियों को 2022 में यह सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ.

आरओएफ सर्टिफिकेट से संबंधित प्रावधानों के अनुसार सर्टिफिकेट धारकों को 150 दिन का काम दिया जाना चाहिए. लेकिन यह प्रावधान गैर- अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं हो रहा है.

यहां तक की आदिवासी मज़दूरों को एक हफ्ते में 6 दिन तक काम करने के बावजूद भी सिर्फ 4 दिन का पैसा ही दिया जा रहा है.

आदिवासियों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि गाँव के स्थानीय अधिकारियों को इसके बारे में सूचित किया गया था. लेकिन उन्होंने अभी तक इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

इस मसले से जूझ रहे सभी आदिवासियों ने यह फैसला किया है कि अगर 10 जून तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती या उन्हें उनके हक का पैसा नहीं मिलता, तो वह इसकी शिकायत बढ़े अधिकारियों को करेंगे.

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