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छत्तीसगढ़ विधानसभा में हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक रद्द करने का अशासकीय संकल्प पारित

विधायक धर्मजीत ने कहा कि केंद्र से टकराना है तो टकराइए, लेकिन खनन रोकिए. छत्तीसगढ़ की वन संपदा, खनिज संपदा की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है. कोल ब्लॉक में इंग्लैंड और पोलेंड की मशीनें आ गई है और एक पेड़ काटने में तीन मिनट लगते हैं. कुछ महीनों में तीन लाख पेड़ कट जाएंगे. इसे रोका नहीं गया तो जंगल मैदान बन जाएगा.

हसदेव अरण्य को बचाने के लिए देशभर में चल रहे कैंपेन के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ने ट्वीट कर हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित सभी कोयला ब्लॉक को रद्द करने की मांग केंद्र सरकार से की है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में हसदेव को लेकर एक अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया है. इस‌ संकल्प में केंद्र सरकार से हसदेव क्षेत्र में आवंटित सभी कोयला खदानों को रद्द करने का आग्रह किया गया है.

संकल्प पारित कर वनों से जुड़ी एक अधिसूचना को वापस लेने की अनुशंसा की गई है. केंद्र की इस अधिसूचना में वन क्षेत्रों में गैर वन गतिविधियों की अनुमति प्रक्रिया में ग्राम सभा को दरकिनार कर दिया गया है.

दरअसल छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक धर्मजीत सिंह ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन को रोकने की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया और कहा कि खनन इसकी समृद्ध जैव-विविधता और घने जंगल को बर्बाद कर देगा.

संकल्प पेश करते हुए धर्मजीत सिंह ने कहा कि  छत्तीसगढ़ में 57 हज़ार मिलियन टन का कोयला भंडार है. पचास साल में भी 25 फीसदी ही खनन किया जा सकता है. बड़ा कोयला भंडार माड़ नदी और हसदेव नदी के पास है, जो सघन वन क्षेत्र है.

हसदेव से लगे मदनपुर में राहुल गांधी आए थे उन्होंने कहा था कि वह खुद आदिवासियों की लड़ाई लड़ेंगे. लेकिन इसी मदनपुर का ढाई सौ एकड़ ज़मीन कोल ब्लॉक में आ गई है.

धर्मजीत सिंह ने कहा, “इस क्षेत्र में खनन से क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष शुरू हो जाएगा और अगर खनन शुरू होता है तो यह घने जंगल को नष्ट कर देगा. मैं राज्य सरकार से इस मामले को केंद्र के सामने उठाने और खनन परियोजनाओं को तुरंत रद्द करने का आग्रह करता हूं.”

विधायक धर्मजीत ने कहा कि केंद्र से टकराना है तो टकराइए, लेकिन खनन रोकिए. छत्तीसगढ़ की वन संपदा, खनिज संपदा की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है. कोल ब्लॉक में इंग्लैंड और पोलेंड की मशीनें आ गई है और एक पेड़ काटने में तीन मिनट लगते हैं. कुछ महीनों में तीन लाख पेड़ कट जाएंगे. इसे रोका नहीं गया तो जंगल मैदान बन जाएगा.

इस अशासकीय संकल्प को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कोयला आवंटन भारत सरकार करती है. किसे कौन सा ब्लॉक दिया जाए ये केंद्र ही तय करती है.

भूपेश बघेल ने कहा, “लोग गुमराह कर रहे हैं कि राज्य सरकार इस पर कुछ करती है. हसदेव जल संग्रहण क्षेत्र है. यहां से कोरबा, रायगढ़, जांजगीर चम्पा में सिंचाई होती है. छत्तीसगढ़ शासन ने 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरु एलिगेंट रिजर्व घोषित किया गया है. उससे जुड़े कोल ब्लॉक में रोक लगाने की मांग केंद्र से की गई है. उन क्षेत्रों में खनन पर रोक लगी हुई है.”

इस पर बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि सदन में आप एनओसी रद्द करने की घोषणा कर दीजिए. जिसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने अशासकीय संकल्प पर सहमति जताई, जिसके बाद अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से सदन में पारित हुआ.

दरअसल हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक एक्सटेंशन किया जा रहा है. राजस्थान की विद्युत कंपनी को कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है. कोल ब्लॉक की एनओसी लंबे समय तक अटकी थी. मार्च में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ आए थे. रायपुर में सीएम भूपेश बघेल से कोल ब्लॉक पर चर्चा हुई, जिसके बाद वन विभाग द्वारा एनओसी जारी की गई थी. एनओसी जारी होने के बाद देशभर में कोल ब्लॉक का विरोध शुरू गया.

हसदेव के जंगल, मध्य भारत में फेफड़ों जैसा काम करते हैं जिनकी मौजूदगी से न सिर्फ मानसून नियंत्रित रहता है बल्कि भूमिगत जल भी. पर्यवारंविदों को चिंता है कि इन जंगलों के कटने से पर्यावरण पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही बड़े पैमाने पर खनन की वजह से कई नदियों के अस्तित्व पर संकट भी पैदा हो जाएगा.

इसके अलावा हसदेव अरण्य हाथियों के विचरण का इलाका है और पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में खनन की वजह से इंसानों और जानवरों के बीच भी संघर्ष शुरू हो गया है. सरगुजा संभाग में ही इंसानों और हाथियों के बीच चल रहे संघर्ष की वजह से एक साल में औसतन 60 लोग मारे जा रहे हैं. वहीं हाथियों के मरने की भी खबरें आती रहती हैं.

भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन संस्था,’वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ने इस इलाक़े को लेकर किए गए अध्यन की रिपोर्ट भी पिछले साल सरकार को सौंपी थी.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जैव विविधता के सबसे समृद्ध इस इलाके में जानवरों और परिंदों की 350 से ज़्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं. रिपोर्ट में इस इलाके में खनन कार्यों पर रोक लगाने का सुझाव भी दिया गया.

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