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छत्तीसगढ़: बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध आदिवासी संस्कृति युवाओं को दे रही नौकरी के अवसर

होमस्टे और कयाकिंग चलाने वाले मानसिंह ने कहा कि पहले लोग आजीविका की तलाश में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और यहां तक कि गोवा तक चले जाते थे लेकिन अब कांगेर घाटी यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर दे रही है.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में पर्यटन के क्षेत्र में एक के बाद एक नई पहल की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि बस्तर की अविश्वसनीय प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध आदिवासी संस्कृति पर्यटन के मामले में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद करेगा. इसके अलावा यह पहल नक्सली हिंसा के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले इस क्षेत्र की छवि को बदलने में अहम भूमिका निभाएगा.

पहले वामपंथी उग्रवाद के लिए जाना जाने वाला बस्तर घने जंगलों, झरनों और नदियों से समृद्ध है जो इस क्षेत्र को पृथ्वी पर एक हरा-भरा यूटोपिया बनाता है.

पर्यटन को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए कांगेर घाटी नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) अथॉरिटी ने कांगेर नदी पर कयाकिंग (Kayaking) की सुविधा शुरू की है. करीब 200 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान दर्जनों गांवों से घिरा हुआ है.

नेशनल पार्क के निदेशक धम्मशील गनवीर ने कहा कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए कांगेर घाटी नेशनल पार्क अथॉरिटी ने उन्हें पर्यटकों को जगह की सुंदरता दिखाने और उन्हें भ्रमण पर ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी है.

अथॉरिटी ने इस संबंध में स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग भी दी है. इसने 50 से अधिक स्थानीय युवाओं की एक समिति भी बनाई है.

कभी बस्तर में बेरोजगारी और नक्सल आतंक का बोलबाला था. जिससे स्थानीय युवाओं को आजीविका की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता था.

गणवीर ने कहा कि ये युवा होमस्टे का भी संचालन कर रहे हैं, जिसमें पर्यटक आते हैं और स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं, जंगल और वन्य जीवन की झलक देखते हैं और स्थानीय संस्कृति को समझने का अवसर प्राप्त करते हैं.

इस नेशनल पार्क को करीब से देखने का अनूठा मौका देते हुए आदिवासी युवा कांगेर नदी पर कयाकिंग कर पर्यटकों को पार्क की सैर कराने ले जाते हैं.

अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एनआई को बताया, “स्थानीय युवा प्रकृति को बहुत करीब से समझते हैं. वे कयाकिंग का संचालन करते हैं और क्षेत्र की विशेषताओं को सरल तरीके से बताते हैं.”

होमस्टे और कयाकिंग चलाने वाले मानसिंह ने कहा कि पहले लोग आजीविका की तलाश में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और यहां तक कि गोवा तक चले जाते थे लेकिन अब कांगेर घाटी यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर दे रही है.

उन्होंने कहा कि यहां के युवा न सिर्फ नेचर गाइड या मैना मित्र के रूप में काम कर रहे हैं बल्कि वे इस स्थान की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

उन्होंने कहा, “पहले नक्सली आतंक के कारण लोग यहां नहीं आते थे लेकिन अब दूसरे राज्यों से पर्यटक और यहां तक कि विदेशी भी यहां आ रहे हैं. लोग स्वतंत्र रूप से किसी भी समय यहां रह सकते हैं और इस क्षेत्र की समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का आनंद ले सकते हैं.”

उन्होंने वर्तमान परिदृश्य का श्रेय नेशनल पार्क अथॉरिटी को देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि कयाकिंग के साथ-साथ युवा बैम्बू राफ्टिंग की पेशकश कर रहे हैं.

पार्क के डायरेक्टर गणवीर ने आगे बताया कि नेशनल पार्क एक महत्वपूर्ण जैव विविधता स्थल है और प्रशासन इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है.

उन्होंने कहा, “हाल ही में हमने राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में जिप्सी का संचालन शुरू किया है और यह सेवा स्थानीय बेरोजगार युवाओं द्वारा संचालित की जा रही है. फिलहाल हमारे पास 35 जिप्सी हैं और 25 गाइड को रोजगार प्रदान करते हैं. इसके अलावा हम होमस्टे की अवधारणा को बढ़ावा दे रहे हैं.”

अधिकारी ने कहा कि कयाकिंग शुरू करने का कदम सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को आकर्षित कर रहा है क्योंकि यह एक रोमांचक अनुभव के साथ-साथ प्रकृति के करीब जाने का अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि नेशनल पार्क अथॉरिटी पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में अन्य संभावनाएं तलाश रहा है.

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