12 साल की आदिवासी लड़की के कथित यौन उत्पीड़न की जांच कर रही वालपराई पुलिस ने शुक्रवार को पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया. जिला पुलिस ने एक शिकायत के आधार पर POCSO अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की और एसपी जांच की निगरानी कर रहे हैं.
कोयंबटूर के जिला कलेक्टर, जीएस समीरन ने कहा कि लड़की का मेडिकल परीक्षण किया गया है. उन्होंने कहा, “हम मेडिकल जांच रिपोर्ट और पुलिस जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही इस मुद्दे को उठाने वाले तीसरे पक्ष की भी जांच की जाएगी.”
बुधवार को अखाड़ा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एस थानाराज ने शिकायत दर्ज कराई. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया, “गांव के कुछ गवाहों के साथ प्रारंभिक जांच के मुताबिक, लड़की के साथ यौन उत्पीड़न का कोई निशान नहीं था. हालांकि, हमें मामले के अन्य गवाहों और शिकायतकर्ता की जांच करनी है और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करना है. हम POCSO अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार लड़की के लिए परामर्श सत्र की व्यवस्था करने के लिए काम कर रहे हैं.”
एस थानाराज ने शुक्रवार को कहा था, “आदिवासियों द्वारा बच्ची को ढूंढने के बावजूद, बच्ची अगली शाम को बस्ती के अंदर एक जगह पर उसके हाथ और पैर बंधे हुए पाई गई थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक बस्ती के बाहर के पांच लोगों ने लड़की का यौन शोषण किया था. उन्होंने अपने चेहरे को मुखौटे से ढक हुआ था.”
दरअसल किशोरी 1 जनवरी की दोपहर दो बजे अपने घर से लापता हो गई थी. इसके बाद वह रात में बस्ती में एक जगह पर पैर और हाथ बंधे हुए मिली थी. पांच सदस्यीय गिरोह ने लड़की का अपहरण करने के बाद कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया. सूत्रों ने कहा कि क्योंकि आरोपी कथित तौर पर बस्ती के मूल निवासी नहीं हैं इसलिए पुलिस वन विभाग के साथ आगंतुकों की सूची की जांच कर रही है.
सीपीएम की राज्य इकाई ने बुधवार को एक बयान जारी कर राज्य सरकार से अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है.