महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक आदिवासी आदमी के अपने छह साल के बेटे के शव को मोटरसाइकिल पर घर ले जाने के लिए मजबूर होने की मीडिया रिपोर्ट्स के बाद, जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
निजी एम्बुलेंस चालकों द्वारा ज्यादा पैसों को मांग के चलते पालघर के अजय पारधी के शव को उसके पिता को एक मोटरसाइकिल पर घर ले जाना पड़ा. घटना 25 जनवरी की है.
पालघर कलेक्टर माणिक गुरसाल ने कहा है कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
जवाहर ग्रामीण अस्पताल में अजय पारधी का इलाज करने वाले डॉ रामदास मराड का कहना है, “हमारे पास शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं है, लेकिन फिर भी, हम उनके बेटे के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे थे. अपने बेटे के शरीर पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया के डर से वे अस्पताल से जल्दी निकल गए.”
पालघर के आदिवासी इलाकों में मरीजों और पीड़ितों के शवों को लाने-ले जाने के लिए निजी एम्बुलेंस संचालक मोटी रकम वसूलते हैं.

6 साल के अजय पारधी को पिछले सोमवार पालघर के त्रयंबकेश्वर में तेज बुखार के चलते एक अस्पताल ले जाया गया.
वहां से डॉक्टरों ने उसे सरकारी अस्पताल में रेफर किया. मोखड़ा सरकारी अस्पताल में भी पर्याप्त इलाज न मिलने पर, अजय का परिवार उसे जवाहर ग्रामीण अस्पताल ले गया. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी तबियत बिगड़ी, और उसने 25 जनवरी को दम तोड़ दिया.
अजय के पिता ने उसका शव 40 किलोमीटर दूर अपने घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश की, लेकिन उनके पास इसके लिए ज़रूरी पैसे नहीं थे. मजबूरन उन्हें अपने बेटे के शव को अपनी मोटरसाइकिल पर घर ले जाना पड़ा.