तमिलनाडु सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग ने एक नई पहल शुरू की है जिससे दूर-दराज़ के आदिवासी इलाकों में रहने वाले बच्चों को स्कूल पहुँचने में आसानी होगी.
इस पहल के तहत जल्द ही 23 माइक्रो वैन शुरू की जाएंगी.
ये माइक्रो वैन राज्य के 6 ज़िलों के 56 प्राथमिक स्कूलों को कवर करेंगी. इन 6 ज़िलों में तिरुचिरापल्ली, धर्मपुरी, सलेम, कल्लाकुरिची, इरोड और नीलगिरी शामिल हैं.
2,000 से अधिक बच्चों को होगा फ़ायदा
इन इलाकों में रहने वाले आदिवासी बच्चे रोज़ाना कठिन और ख़तरनाक जंगल के रास्तों से होते हुए स्कूल पहुँचते हैं.
कई बार मौसम खराब होने या सुरक्षित साधनों के अभाव में बच्चे स्कूल नहीं पहुँच पाते.
इस वजह से हाज़िरी कम होती है और कई बार इन कठिनाइयों के कारण धीरे-धीरे बच्चे स्कूल छोड़ भी देते हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि कई बार लंबी छुट्टियों के बाद बच्चे स्कूल लौटते ही नहीं हैं जबकि ज़्यादातर आदिवासी स्कूलों में हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध है.
पहले पायलट प्रोजेक्ट हुआ सफल
पिछले शैक्षणिक वर्ष के अंत में कल्लाकुरिची ज़िले के कालवरायन हिल्स में चार स्कूलों के लिए माइक्रो वैन चलाई गई थी.
इस छोटे से प्रयास से छात्र-छात्राओं की हाज़िरी में काफ़ी सुधार देखने को मिला.
इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने अब इस योजना को बड़े स्तर पर लागू करने का फ़ैसला लिया है.
सरकार ने दी 3.6 करोड़ की मंज़ूरी
राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 3.6 करोड़ रुपये की राशि को मंज़ूरी दी है.
इन वैनों को इस तरह से चलाया जाएगा कि एक वैन के ज़रिए पास-पास के कई स्कूलों को कवर कर सके.
अधिकारी ने बताया, “हमने क्लस्टर बनाकर स्कूलों की पहचान की है ताकि एक वैन में ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को लाभ मिल सके. योजना इस तरह बनाई गई है कि इसका लाभ ज़्यादा बच्चों तक पहुँचे.”
एनजीओ की मदद से होगा संचालन
इन वैनों का संचालन स्थानीय एनजीओ के साथ मिलकर किया जाएगा ताकि ज़मीन स्तर पर योजना का सही क्रियान्वयन और निगरानी सुनिश्चित की जा सके.
तमिलनाडु के कई आदिवासी इलाकों में आज भी ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ बच्चे पहाड़ों और घने जंगलों को पार कर स्कूल पहुँचते हैं. लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि यह नई योजना उन बाधाओं को कम करेगी.
एक अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि कोई भी बच्चा सिर्फ़ अपने रहने की जगह की वजह से शिक्षा से वंचित न रह जाए.”
(Image is for representative purpose only)