HomeAdivasi Dailyतेलंगाना के आदिवासी इलाकों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी

तेलंगाना के आदिवासी इलाकों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी

तेलंगाना में कुल 5,000 उप केंद्र, 863 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 95 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. ग्रामीण इलाकों में, जहां उप केंद्र ज्यादा मात्रा में हैं, 85 पीएचसी और 95 सीएचसी की कमी है.

तेलंगाना के आदिवासी इलाकों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centre – सीएचसी) स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं.

इन केंद्रों में फिलहाल 13 डॉक्टरों के अलावा पांच बाल रोग विशेषज्ञों, 12 सर्जनों और 12 रेडियोग्राफरों की जरूरत है. इसके अलावा, आदिवासी इलाके में उप केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centre – पीएचसी) की संख्या में ज्यादा है, लेकिन जहां तक सीएचसी की बात है तो 15 और ऐसे केंद्रों को जरूरत है.

यह आंकड़े ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी (रूरल हेल्थ स्टेटिस्टिक्स) 2020-2021 में सामने आए हैं, जिसे पिछले हफ्ते स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था.

इसमें तेलंगाना के शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में उप केंद्रों, पीएचसी और सीएचसी में दूसरी श्रेणियों के अलावा डॉक्टरों, विशेषज्ञ डॉक्टरों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, फार्मासिस्टों और लैब तकनीशियनों की उपलब्धता और कमी पर एक विस्तृत रिपोर्ट शामिल है.

तेलंगाना के आदिवासी इलाकों की अनुमानित आबादी 27.58 लाख है.

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को त्रि-स्तरीय प्रणाली के तहत विकसित किया गया है – उप केंद्र, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और समुदाय के बीच संपर्क की पहली कड़ी है. दूसरे स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो ग्राम समुदाय और मेडिकल ऑफिसर के बीच की कड़ी है. ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए इन्हें डिज़ाइन किया गया है.

इसके बाद सीएचसी आते हैं, जो 30-ब ड वाले अस्पताल हैं, जिनपर हर चार पीएचसी के लिए स्पेशलिस्ट देखभाल देने का जिम्मा है.

तेलंगाना में कुल 5,000 उप केंद्र, 863 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 95 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. ग्रामीण इलाकों में, जहां उप केंद्र ज्यादा मात्रा में हैं, 85 पीएचसी और 95 सीएचसी की कमी है.

इतना ही नहीं, कुछ सीएचसी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी कमी है. ग्रामीण क्षेत्रों में 85 सीएचसी में से सिर्फ 18 में ही नवजात शिशुओं के लिए stabilisation यूनिट है.

हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी. हरीश राव ने जिला प्रशासन को पीएचसी में डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए वॉक-इन इंटरव्यू आयोजित करने की अनुमति जारी की है.

उम्मीद है जल्द ही आदिवासी इलाकों के लिए डॉक्टर की नियुक्ति को पूरा कर लिया जाएगा, और इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवा बेहतर हो सकेगी.

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