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विलुप्त होती थोती जनजाति की परंपराओं का दस्तावेजीकरण करने के मिशन पर IIT हैदराबाद

थोती समुदाय से संबंधित महिलाएं पारंपरिक टैटू बनाती हैं. थोती महिलाएं पारंपरिक टैटू उपचार के एक भाग के रूप में गोंड महिलाओं के बीच बनाती हैं. लेकिन अब थोती की पारंपरिक प्रथाएं धीरे-धीरे घट रही हैं.

थोती विलुप्त होती जनजातीय समुदायों में से एक हैं जिनकी आबादी में लगातार कमी आ रही है. 2021 की जनगणना के अनुसार थोती जनजाति की जनसंख्या सिर्फ 4 हज़ार 811 है. उनकी जीवित परंपराएं ख़तरे में हैं क्योंकि समुदाय के केवल कुछ ही सदस्य पारंपरिक व्यवसायों में लगे हुए हैं.

ऐसे में उनकी जीवित परंपराओं का दस्तावेजीकरण और सुरक्षित करना अहम है… तो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद (Indian Institute of Technology Hyderabad) के डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन ने तेलंगाना के आदिलाबाद ज़िले में रहने वाले थोती समुदाय की पारंपरिक प्रथाओं, अनुसंधान और दस्तावेज को संरक्षित करने की पहल की है.

थोती गोंड राज से जुड़ा एक आदिवासी समुदाय है. गोंडवाना साम्राज्य के इतिहास को मौखिक इतिहास के रूप में जीवित रखते हुए थोती का पारंपरिक व्यवसाय ‘गोंड गाथा’ गाना था. गोंड संरक्षकों के तौर पर थोती समुदाय ने अपनी आजीविका कायम रखी.

थोती समुदाय से संबंधित महिलाएं पारंपरिक टैटू बनाती हैं. थोती महिलाएं पारंपरिक टैटू उपचार के एक भाग के रूप में गोंड महिलाओं के बीच बनाती हैं. लेकिन अब थोती की पारंपरिक प्रथाएं धीरे-धीरे घट रही हैं. हालांकि कुछ परिवार अभी भी अपने साथ पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस तरह के चलन को जारी रखे हुए हैं और अपनी परंपराओं को जीवित रखते हुए उनकी रक्षा कर रहे हैं.

प्रोफेसर दीपक जॉन मैथ्यू के मार्गदर्शन और जांच के तहत, रिसर्च टीम ने आदिलाबाद ज़िले के गुड़ीहटनूर मंडल के तोशाम गांव में थोती गुडा के एक क्षेत्र का दौरा किया. थोती समुदाय की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करके थोती के पारंपरिक संगीत को रिकॉर्ड किया गया है.

परियोजना के बारे में बोलते हुए डिपार्टमेंट ऑफ डिजाइन के प्रमुख, प्रोफेसर दीपक जॉन मैथ्यू ने कहा, “यह डॉक्यूमेंट्री सदियों पुरानी परंपराओं और इसके पीछे के विज्ञान का खूबसूरती से वर्णन करता है. हमारा उद्देश्य इन अद्भुत तकनीकों का प्रदर्शन करना और समुदाय को अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद करना है. यह हमारी आज की शहरी पीढ़ी को इन समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत से जोड़ने की दिशा में भी एक कदम है.”

आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी एस मूर्ति ने कहा, “हम आईआईटीएच (IITH) को मानवता के लिए प्रौद्योगिकी में आविष्कार और नवाचार के रूप में परिभाषित करते हैं. डिजाइन अवधारणा का उपयोग करके परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना और आने वाली पीढ़ियों को उन्हें बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना हमारे उद्देश्य को पूरा करता है. टेक्नॉलॉजी की सहायता से ग्रामीण आजीविका के उत्थान के लिए आईआईटीएच में एक ग्रामीण विकास केंद्र भी है. हमारे पास डिपार्टमेंट ऑफ हेरिटेज साइंस एंड टेक्नोलॉजी भी है, जिसके इसी तरह के उद्देश्य हैं.”

(Image Credit: Telangana Today)

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