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इस जनजाति को लंबे इंतजार के बाद जारी किया गया जाति प्रमाण पत्र

इस जनजाति के सदस्यों ने बाद में इस क्षेत्र में घूमकर मोतियों, सजावट की वस्तुओं और अन्य सामानों की बिक्री शुरू कर दी. राव ने कहा कि उन्हें 2003 में एक आदिवासी समुदाय के रूप में मान्यता दी गई थी लेकिन नाम की कमी के कारण, वे प्रमाण पत्र उनके लिए उपयोगी नहीं थे.

यह उस जनजाति के लिए एक सपने के सच होने जैसा है जो एक सदी पहले तमिलनाडु से विजयवाड़ा चली गई थी और अब सरकार द्वारा उनकी जनजाति को आधिकारिक मान्यता के माध्यम से एक उचित सामाजिक पहचान दी गई.

कलेक्टर एस. दिली राव और विधायक मल्लादी विष्णु के नेतृत्व में एनटीआर जिला प्रशासन ने शहर में ‘नक्कला’ जनजाति के 147 परिवारों को जाति प्रमाण पत्र वितरित किए.

इस अवसर पर बोलते हुए दिली राव ने कहा कि एक सदी से भी अधिक पहले एक जनजाति के सदस्य जो लोमड़ियों का शिकार करके जीवन यापन करते थे. वे जंगलों से घिरे हुए ज़िले मायलावरम और विजयवाड़ा में चले गए थे और बाद में यहां बस गए. उन्होंने कहा कि वे तमिलनाडु के मदुरै की एक जनजाति थे.

कुछ समय बाद इस जनजाति के सदस्यों ने बाद में इस क्षेत्र में घूमकर मोतियों, सजावट की वस्तुओं और अन्य सामानों की बिक्री शुरू कर दी. राव ने कहा कि उन्हें 2003 में एक आदिवासी समुदाय के रूप में मान्यता दी गई थी लेकिन नाम की कमी के कारण, वे प्रमाण पत्र उनके लिए उपयोगी नहीं थे.

विश्व आदिवासी दिवस पर कलेक्टर के साथ परिवारों की बातचीत के बाद, उन्हें एक जनजाति के नाम के साथ जाति प्रमाण पत्र देने का वादा किया गया था. उन्हें अपनी जनजाति के लिए एक नाम चुनने के लिए भी कहा गया और वे ‘नक्कल’ लेकर आए जिसके बाद उन्हें यहां इसी नाम से जाना जाता है.

राव ने कहा कि सभी परिवारों को अब एक ही जनजाति के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है. जाति प्रमाण पत्र के साथ वे अब एसटी आरक्षण और सरकारों द्वारा प्रदान किए जा रहे अन्य लाभों का उपयोग करने में सक्षम होंगे. सरकार ने कुछ परिवारों को जगन्नाथ आवास के तहत मकान भी मंजूर किए और अन्य को भी मकान देने का वादा किया.

(Image Credit: The Hindu)

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