जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत गुर्जर-बकरवाल, गद्दी-सिप्पी समुदायों के लाभार्थियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार प्रमाण पत्र सौंपे.
इस अवसर को “ऐतिहासिक” बताते हुए मनोज सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश (UT) में अधिनियम को लागू करना संभव बनाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह कदम वंचित आदिवासी आबादी के लिए सशक्तिकरण और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत करेगा.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण और उनके विकास और कल्याण के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा, “मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं, जिनकी वजह से हमने 1 दिसंबर, 2020 को वन अधिकार अधिनियम लागू किया. 2019 से पहले यहां कई केंद्रीय कानूनों को लागू नहीं किया गया था. जम्मू-कश्मीर प्रशासन खासकर वन विभाग और आदिवासी मामलों के विभाग ने इन समुदायों के विकास के लिए कुछ करने की कोशिश शुरू कर दी है.”
उपराज्यपाल ने कहा कि करीब 20,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं और कई लोगों को प्रमाण पत्र दिए गए हैं. सभी योग्य लोगों को अधिकार दिए जाएंगे.
उन्होंने कहा, “वन अधिकार अधिनियम के अलावा प्रशासन के पास उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कार्यक्रम हैं और मुझे संतोष है कि हम समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने में सफल होंगे.”
मनोज सिन्हा ने कहा कि वनों के रखरखाव पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि यूटी प्रशासन आदिवासी लोगों के हितों की रक्षा के लिए लगातार काम कर रहा है जिसमें उनकी जमीन भी शामिल है.
उपराज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समुदाय को भी जंगलों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है. सिन्हा ने कहा, “जैसे हम इस नई यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं. वैसे ही मैं जम्मू-कश्मीर के अपने आदिवासी भाइयों और बहनों से भी आग्रह करता हूं कि वे भी अपने परिवार के सदस्य की तरह वन्यजीवों, जंगलों की रक्षा करने और जैव विविधता को बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करें.”
उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में सामुदायिक अधिकार दिए गए हैं वहां बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये तत्काल उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सड़कों, बिजली आपूर्ति, आंगनवाड़ी केंद्रों आदि पर काम जल्द ही शुरू किया जाएगा.
मनोज सिन्हा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के आदिवासी समुदायों का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है. इस साल क्लस्टर आदिवासी मॉडल गांव के लिए 73 करोड़ रुपये का सबसे ज्यादा आवंटन किया गया है.
उपराज्यपाल ने आगे घोषणा की कि आजीविका के लिए 1,500 मिनी भेड़ फार्म स्थापित किए जाएंगे और 500 युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए चुना जाएगा. उन्होंने कहा कि ‘मिशन यूथ’ ने आदिवासी विभाग के साथ 16 दूध गांवों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि कम से कम 2,000 युवाओं को डेयरी क्षेत्र से जोड़ा जा सके, जिसकी लागत ₹16 करोड़ है.
प्रशिक्षण, ब्रांडिंग, विपणन और परिवहन सुविधाएं प्रदान करने के अलावा सिन्हा ने कहा कि आदिवासी समुदायों को भी लघु वन उपज पर अधिकार मिलेगा. सरकार, ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के समन्वय में संग्रह, मूल्यवर्धन, पैकेजिंग और वितरण के लिए बुनियादी ढाँचा स्थापित करेगी.