HomeAdivasi Dailyझारखंड के मुख्यमंत्री ने की न्यायपालिका में आदिवासियों के लिए आरक्षण की...

झारखंड के मुख्यमंत्री ने की न्यायपालिका में आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग

सीएम हेमंत सोरेन ने ने झारखंड में छोटे-छोटे मामलों में बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोगों के जेल में बंद रहने पर गंभीर चिंता जाहिर की.

झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने उच्च न्यायिक सेवाओं (Higher Judicial Service) यानि न्यायपालिका में आदिवासियों के लिए आरक्षण की मांग की. उन्होंने बुधवार को रांची में झारखंड हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाया.

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में आदिवासी समुदाय की संख्या नगण्य है. यह चिंता का विषय है.

सीएम सोरेन ने कहा, “मैं एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर गणमान्य व्यक्तियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. झारखंड राज्य में उच्च न्यायिक सेवा में जनजातीय समुदायों की नगण्य उपस्थिति चिंता का विषय है. इस सेवा की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. क्योंकि हाई कोर्ट के के जज भी इसी सेवा से नियुक्त किए जाते हैं इसलिए झारखंड में भी इस समुदाय के जज नहीं हैं. इसलिए मैं चाहूंगा कि इस आदिवासी बहुल राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था की जाए. ताकि इस समुदाय के लोग भी सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में नियुक्ति पा सकें.”

सीएम हेमंत सोरेन ने ने झारखंड में छोटे-छोटे मामलों में बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोगों के जेल में बंद रहने पर गंभीर चिंता जाहिर की.

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गत वर्ष ऐसे मामलों की सूची तैयार कराई, जो अनुसंधान पूरा न होने से पांच वर्षो से अधिक समय से पेंडिंग हैं. उनकी संख्या 3600 थी. एक अभियान चलाकर इनमें से 3400 मामलों का निष्पादन कराया है.

सीएम हेमंत ने कहा, ‘‘पिछले साल 26 नवंबर, 2022 को संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति महोदया ने पूरे देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर अपनी चिंता जतायी थी. झारखंड में भी छोटे-छोटे अपराधों के लिए बड़ी संख्या में गरीब आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोग जेलों में कैद हैं. यह चिन्ता का विषय है. इस पर गंभीर मंथन की जरूरत है.’’

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने न्यायालयों के कार्यो का निष्पादन स्थानीय भाषाओं में किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे न्याय के मंदिरों और आमजनों के बीच की दूरी कम हो सकेगी.

न्यायिक पदाधिकारियों और सहायक लोक अभियोजकों के लिए भी कम से कम एक स्थानीय भाषा सीखना अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि न्याय को और सुलभ बनाया जा सके.

झारखंड हाई कोर्ट बिल्डिंग का निर्माण 600 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और यह लगभग 165 एकड़ में फैला हुआ है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments