आदिवासी समुदायों के संपूर्ण विकास के लिए झारखंड सरकार ने राज्य के सभी आदिवासी बहुल गांवों को आदर्श ग्राम बनाने का फ़ैसला किया है. इसके तहत जिस गांव की 50 प्रतिशत आबादी या 500 से ज़्यादा आदिवासी रहते हैं, वो आदर्श ग्राम के दायरे में आएंगे.
ऐसे गांवों के विकास के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी. इन गांवों में तमाम बुनियादी सुविधाएं होंगी और लोगों का जीवन बेहतर करने के लिए सरकार क़दम उठाएगी.
आदर्श गावों के लिए विलेज डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जाएगा, जिसकी मॉनिटरिंग जिला स्तर पर हर महीने की जाएगी. इसके अलावा चुनिंदा गांवों को आदर्श ग्राम में बदलने के लिए तैयारी का जायज़ा एक उच्च स्तरीय कमेटी करेगी.
झारखंड में लगभग 29 हजार गांव हैं, और इनमें से क़रीब एक तिहाई गांव आदिवासी बहुल हैं. आदिवासी बहुल गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के लिए राज्य के लगभग एक दर्जन विभागों को साथ काम करना होगा.
इसके लिए राज्य स्तर पर विलेज डेवलपमेंट प्लान (वीडीपी) वर्किंग कमेटी का गठन होगा. इस कमेटी के अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव होंगे.
इसके अलावा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ऊर्जा विभाग, वित्त विभाग, श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग और राजस्व भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग के अधिकारी भी इस कमेटी के सदस्य होंगे.
योजना को ज़मीनी स्तर पर कारगर करने के लिए जिम्मेदारी जिलों पर होगी. इसके लिए जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग एंड मॉनिटरिंग कमेटी (डीपीएमसी) बनाए जाएंगी. यह समिति जिला स्तर पर विलेज डेवलपमेंट प्लान तैयार करेगी.
योजना पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा सबसिडाइज़ की गई है. इसके लिए चुने गए हर गांव को 22.62 लाख रुपये दिए जाएंगे. योजना के तहत पहले से ही सांसद आदर्श ग्राम योजना और आकांक्षी जिलों के तहत चुने गए जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी.