HomeAdivasi Dailyझारखंड: आदिवासी विकास योजनाओं पर 50 प्रतिशत से भी कम खर्च

झारखंड: आदिवासी विकास योजनाओं पर 50 प्रतिशत से भी कम खर्च

केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में झारखंड सरकार को 102.78 करोड़ दिए गए लेकिन मात्र 43.49 करोड़ खर्च हुए. वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 122 करोड़ मिला लेकिन मात्र 17.90 करोड़ खर्च हुए.

झारखंड (Jharkhand) की हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार लगातार आदिवासी विकास का दावा करती आ रही है. लेकिन झारखंड सरकार पिछले तीन सालों में आदिवासी कल्याण से जुड़े विभिन्न स्कीम के तहत मिली केंद्रीय राशि का 50 फीसदी भी खर्च नहीं कर पायी.

आदिवासी कल्याण विभाग (Tribal welfare department) को वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर 2021-22 तक करोड़ों रुपये केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय से मिले. लेकिन राज्य सरकार यह राशि खर्च ही नहीं कर पायी. वहीं उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया. जिसके चलते केंद्रीय मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में झारखंड के लिए राशि का प्रावधान नहीं किया.

दरअसल, आदिवासी कल्याण विभाग की ओर से आदिवासियों के विकास के लिए कई योजनाएं संचालित होती है. केंद्र सरकार आदिवासी कल्याण की धारा 275 (1) के तहत अनुदान के साथ राशि राज्यों को देती है. इसके बावजूद राज्य सरकार आदिवासी कल्याण के लिए मिलने वाली राशि का इस्तेमाल नहीं कर पाती है.

केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में झारखंड सरकार को 102.78 करोड़ दिए गए लेकिन मात्र 43.49 करोड़ खर्च हुए. वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 122 करोड़ मिला लेकिन मात्र 17.90 करोड़ खर्च हुए.

इसके बाद 2022-23 में मिले 67.48 करोड़ मिले और खर्च नहीं होने के कारण उपयोगिता प्रमाण ही नहीं दिया गया. इस कारण वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र ने राशि रोक दी.

वहीं सीसीडी (Conservation Cum Development) योजना के अंतर्गत राज्य सरकार को 2020-21 में 1777.29 लाख रुपए मिले थे जिसमें से केलव 1019.75 रुपए ही खर्च हो पाए. साल 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है. जिस कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध केंद्रीय राशि नहीं दी गई.

इससे पहले भी राज्य सरकार आदिवासी विकास की योजनाओं पर पैसा खर्च करने में लापरवाही दिखाई है. खबरों के मुताबिक साल 2020 से 2022 तक राज्य सरकार को आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए केंद्र की तरफ से 135.8 करोड़ रुपए दिए गए. लेकिन इसके बावजूद हेमंत सोरेन सरकार ने इन योजनाओं पर सिर्फ 13.11 करोड़ रुपए ही खर्च किए.

खबरों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार को जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में केंद्र की तरफ से विशेष सहायता मद के रुप में 70.49 करोड़ रुपए उपलब्ध थे. लेकिन इस दौरान राज्य सरकार ने सिर्फ 13.11 करोड़ रुपए खर्च किए.

वहीं वित्त वर्ष 2021-22 में इस मद के तहत 65.31 करोड़ रुपए मिले थे जबकि राज्य सरकार ने इसमें से कुछ भी खर्च नहीं किया. जिसके चलते वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार से कोई राशि प्राप्त नहीं हुई.

हालांकि, ये सिर्फ झारखंड राज्य का ही हाल नहीं है जहां आदिवासी विकास योजनाओं के लिए आवंटित राशि का समय पर खर्च नहीं हो पाता है. देश के कई राज्यों से इस तरह के आंकड़ें देखने को मिल रहे हैं. मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु ने भी अनुसुचित जाति और अनुसुचित जनजाति के कल्याण के लिए प्रस्तावित खर्च की बचत की है.

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