झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची से करीब 110 किलोमीटर दूर लातेहार (Latehar) ज़िले में सिविल कोर्ट का घेराव कर रहे ताना भगत आदिवासी समुदाय (Tana Bhagat Tribal Community) के लोगों को तितर-बितर करने के लिए सोमवार को पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की. इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई.
आदिवासियों ने प्रधान न्यायाधीश के चेंबर को करीब पांच घंटे तक बंद रखा. ताना भगतों की मांग है कि अदालत को बंद किया जाए क्योंकि जिला प्रशासन इलाके में प्रचलित संवैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज कर रहा है.
पुलिस उपाधीक्षक संतोष मिश्रा ने बताया कि आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने मौके पर पहुंचे जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों से बातचीत करने से इनकार कर दिया. इस दौरान पत्थरबाजी भी शुरू कर दी, जिसमें सात पुलिस कर्मी घायल हो गए. उन्होंने बताया कि घायलों में एक पुलिस निरीक्षक और तीन महिला कांस्टेबल शामिल हैं.
पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अदालत को बंद करने की मांग को लेकर नारेबाजी की और सड़क मार्ग बाधित कर दिया. जिसके बाद पुलिस को स्थिति को संभालने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और पानी की बौछार करनी पड़ी.
उन्होंने कहा कि आंदोलन की खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस ने अदालत के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया था और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था लेकिन आंदोलनकारी जबरन अदालत परिसर में घुस गए.
वहीं अखिल भारतीय ताना भगत संघ के प्रदर्शनकारियों-कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत लातेहार में अदालत का परिचालन, बाहरी लोगों के रोजगार के साथ-साथ प्रवेश पर रोक है. उन्होंने कहा कि तब तक प्रदर्शन किया जाएगा, जब तक सरकारी संस्थानों, पुलिस और न्यायपालिका को उन्हें सौंप नहीं दिया जाता है.
इसके अलावा संतोष मिश्रा ने कहा कि आखिरकार शाम को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया और अदालत परिसर और उसके आसपास पुलिस बल तैनात कर दिया गया. आदिवासियों में किसी के हताहत होने का अभी पता नहीं चला है.
डीएसपी ने कहा कि न्यायाधीशों और अदालत के अधिकारियों के आवास और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
उधर झारखंड हाईकोर्ट ने लातेहार सिविल कोर्ट में सोमवार को हुए हंगामे की रिपोर्ट मांगी है. ताना भगतों के अदालत परिसर में तोड़फोड़ के बाद लातेहार के प्रधान जिला जज ने घटना की जानकारी हाईकोर्ट को दी है.
ताना भगत पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर आंदोलन कर रहे हैं. वह पांचवीं अनुसूची के तहत कोर्ट चलाने को असंवैधानिक बता रहे थे. ये लोग कोर्ट परिसर में न्यायाधीश को बुलाने की मांग पर अड़ गए थे.
आदिवासी ज़िला लातेहार 5वीं अनुसूची के अंतर्गत आता है, जो अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा या उनके बीच भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है. साथ ही अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को भूमि के आवंटन और उन्हें साहूकारों द्वारा व्यापार करने को नियंत्रित करता है.
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