अपने पुरुषों की शराब पीने की आदत से परेशान झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के 35 से अधिक गांवों की गोंड-भुइयां आदिवासी समुदाय की करीब 10,000 महिलाओं ने एक अनोखा नशामुक्ति अभियान शुरू किया है. जहां वे स्थानीय शराब की भट्टी को नष्ट कर देती हैं.
अभियान का नेतृत्व कर रही पंचायत समिति सदस्य जयंती बिरुली के मुताबिक उनका उद्देश्य परिवारों को बर्बाद होने से बचाना है.
इस अभियान से जुड़ी ज्यादातर महिलाएं निरक्षर हैं. अभियान शुरू होने के बाद से क्षेत्र में सड़क किनारे शराब और ‘हंडिया’ (चावल की बीयर) की बिक्री गायब होने लगी है.
बिरुली, जो झिंकपानी ब्लॉक के चोया गांव के रहने वाली हैं ने कहा, “हालांकि महामारी के कारण अभियान धीमा हो गया है. हम 35 से अधिक गांवों को कवर करते हुए काफी समय से नशामुक्ति अभियान चला रहे हैं और करीब 10,000 SHG (स्व-सहायता समूह) महिलाएं हमारे साथ जुड़ी हुई हैं. इस अभियान के तहत हम गांवों में शराब की भठ्ठियों को नष्ट करते हैं. हम शराब के भट्टी मालिकों को अपना व्यवसाय बदलने की चेतावनी देते हैं या उन्हें पुलिस को सौंप दिया जाएगा.”
बिरुली के मुताबिक यह सब कुछ साल पहले स्व-सहायता समूह की सदस्यों द्वारा आयोजित एक साप्ताहिक बैठक के दौरान शुरू हुआ था. बिरुली ने कहा, “महिलाओं में से एक ने व्यसन का मुद्दा उठाया जो कई परिवारों को नष्ट कर रहा था और इसके खिलाफ एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया.” क्षेत्र के लोग शराब के इतने आदी हैं कि लगभग हर हफ्ते मौत हो जाती है.
टोंटो ब्लॉक के रजंका गांव की एक अन्य महिला लेनबोटी होनेगा, जो ‘नशा मुक्ति अभियान’ से भी जुड़ी हुई है ने कहा, “अब जैसे-जैसे चीजें सामान्य हो रही हैं. हम उस अभियान को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं जिसके तहत सभी गांवों की महिलाएं आगे बढ़ेंगी. जिला मुख्यालय एक दिन का ‘धरना’ दें और उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपकर शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कहें.”
उन्होंने कहा, “विकास की कमी के कारण इस क्षेत्र के लोगों के लिए आय का कोई स्रोत नहीं है और इसलिए लोग शराब बनाने को सबसे आसान तरीका मानते हैं.”
वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात करेंगे और उनसे परिवारों को नष्ट होने से बचाने के लिए शराब पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करेंगे.